Sunday 23 October 2011

गाय एक महत्त्व पूर्ण जानवर है




-गाय का वैज्ञानिक महत्त्व -

जो पहले कभी था जब गाय को खाने के लिए अच्छा और पौष्टिक  मिलता था वो पूजनीय थी और सब उसका सम्मान करते थे घर की पहली रोटी पर उसका अधिकार होता था 

आज कोई रोटी बना  ले तो गाय ढूंढनी पड़ती है ...मिल जाती है तो पता नहीं खाएगी या नहीं ...????/
तब इन बातों का बड़ा ही महत्त्व था पर आज शंका है बल्कि कहना होगा मुश्किल है ये बात  सच होना .

आज तो पालतू गाय भी कितना अच्छा चारा खा रही हैं  नहीं जानते 

.किस चीज़ में क्या मिला है क्या बोया क्या काटा कुछ नहीं पता ....पर फिर भी वो आज भी फायदे मंद हैं क्यों कि  एक बात यह भी कही जाती है कि गाय त्रण पदार्थ यानि चारा कैसा भी खाले चाहे विषेला खाले तब भी दूध लाभकारी होता है 

पर आज की गाय त्रण छोड़ कर सब कुछ खाती है .????..,जो गाय सड़क पर घूमती हैं उनका तो ईश्वर ही मालिक है ...एक -एक गाय ढेरों पोलीथिन का भोजन करती नज़र आती है .

बरहाल जो बात कभी सच थी अगर आज भी होती तो कितना फायदा था ...........??????????----------------------------------
गाय के शुद्ध दूध में रेडियो विकिरण या रेडिएशन से लड़ने की शक्ति होती है , रूसी वैज्ञानिक शिरोविच ऐसा मानते हैं .......

जहाँ गोबर से लिपाई पुताई होती है वो घर रेडियो विकिरण से मुक्त होते थे ....
ह्रदय रोग से बचाता था गाय का दूध , स्मरण शक्ति बढाता था |

गाय के एक तौला घी से हवं  करने पर एक टन आक्सीजन  बनता था ???
क्षय रोग के कीटाणु गोबर या गौ मूत्र की गंध से मर जाते थे .....रोगियों को गाय के निकट रखा जाता था 

गौमूत्र में तांबा होता है जो मनुष्य को सर्व रोग विनाशक शक्ति देता है 

इस का बछडा बड़ा होकर हल और गाडी चलाने के काम आता है 
हमारी मान्यता यहाँ पश्चिम से भिन्न है वो कृषि और मांस दोनों के लिए गाय पालते हैं ...पर हमारे यहाँ सिर्फ कृषि ही उद्देश्य है 

आज कल सभी जानवरों की दुर्दशा हो रही है और गाय जो  हमेशा से पूज्या रही है .......बे-बस और लाचार नज़र आती हैं ...........
पहले गौ ह्त्या नहीं होती थीं  अंग्रेजों ने अपने को मज़बूत बनाने के लिए मुस्लिमो को उकसाया और तब से गौ ह्त्या होने लगी 

बंगाल में बकरीद पर गौ ह्त्या होती रही हैं अदालती रोक के बाद भी , केरल में तो ऐसा कोई क़ानून ही नहीं है .........
वैज्ञानिक मत ये भी है कि...बूचड़ खाने भूकंप को बुलावा देते हैं