ये आशीर्वाद कभी मेरी बडी बहन की शादी के लिए लिखा गया था...मैने ही ये शब्द लिखे १९८७ में
लेकिन आज ये श्रधान्जली है उसके लिए.....
:(....missing u sis.....
शुरु हो रहा है नव जीवन,, आज पराए घर जाकर
स्म्रतियाँ सम्बल हैं यहाँ की ,,अपनाना उसको जाकर
शेष हो गए वो लघु क्षण अब , बंधा था जिनका हमसे तार
नाए क्षनो का संग्रह करना,, इन्हे बनाना आधार
स्नेह मयी माता ही देंगी, तुमको अब वो लाढ़ दुलार .
प्यार के इस सागर में पाना ,,तुम अपने जीवन का सार
हँस- मुख 'प्रमोद' के हास्य- व्यंग से ,तुम हो जाना ओत -प्रोत
अब तो वो घर ही है तेरे, सुखद भविष्य का सम्रध स्रोत
'पूनम' और 'श्री जय प्रकाश जी'', वरद हस्त सिर पर रखते हैं
ये पथ रहे सदा निष्कन्टक ,यही दुआ दिल से करते हैं
भाइ - बहन सब देते प्यार, व्यथित ह्रदय का सच्चा प्यार
कामनाएं भी कुछ दिल की हैं ,, सुख से भरा रहे सन्सार
शुभाशीष दे मात - पिता अब , विदा व्यथित हो कर करते हैं
गृह लक्ष्मी बन मूल्य चुकाना ,, उन अश्कों का जो बहते हैं
दो कुल की ये कीर्ति पताका ,सदा ही उन्ची लहराए
आज सौन्पते हाथ तुम्हारे , विश्वास ना खण्डित हो पाए