Thursday 18 April 2013

कविता दिवस पर

'कविता' दिवस पर 'कविता' ने सोचा
में भी लिखूं कोई 'कविता' लेकिन कैसे ??
कभी तो लिखी नहीं ........!!!!!
दिमाग दौडाया दिल को सोच में लगाया
शब्द कर एकत्र ,उसमें कुछ तारतम्य बिठाती हूँ ...
नहीं माने तो अड़ जाउंगी लेकिन उन्हें कविता ज़रूर बनाउंगी
थोड़ी भावुकता , थोड़ा दर्द भी चाहिए
दिल के उमड़े भाव चेहरे पर होने चाहिए
सच्चा भाव होगा तो ज़रूर शब्द साथ देंगे
ईमानदारी के लौहे को हाथों हाथ लेंगे
दर्द की लकीर जब चेहरे पर आएगी
आँखों से आंसुओं की झड़ी लग जायेगी
यकीन है मुझे मेरी भी एक कविता बन जायेगी
और रह जाएगा मेरा मान, आज कविता दिवस पर ........

4 comments:

  1. और कविता बन गई - बधाई

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद राकेश जी :)

      Delete
    2. नमस्ते अरूणा जी, अच्छी कविता, अच्छा प्रयास. नमन

      Delete
    3. नमस्कार मित्र .............हार्दिक आभार आपका .......

      Delete

आपके आगमन पर आपका स्वागत है .................
प्रतीक्षा है आपके अमूल्य विचारों की .
कृपया अपनी प्रतिक्रया अवश्य लिखिए