--जिंदगी में क्या नहीं है ? समझो सब कुछ यहीं- कहीं है धूप -छाँव है , हँसी -ख़ुशी है , सुख है ,दुःख है कुछ नहीं कम , सब कुछ एक साज़ पर बजता एक ही है इसकी सरगम...!!! अपनी अकुलाहट , छटपटाहट सब कुछ इन शब्दों में सहेजने का प्रयास करती हूँ मन को शांत करने का , एक -दूसरे के मन में झाँकने का , अपने ही विचारों को उकेर कर सामने लिखा देखने का एक बहुत सुंदर माध्यम है ........... कई बार शब्द साथ नहीं देते लेकिन अक्सर कुछ न कुछ शब्दों के माध्यम से बाहर आता रहता है ............
मुखपृष्ठ, कविता, कहानी ........
दीपक
संग्रह
- आभार (1)
- आभार प्रिन्सिज़ (1)
- आभार योगीजी (1)
- कविता (41)
- कहानी (6)
- कुछ पंक्तियाँ (2)
- कृषि कानून (1)
- कोरोना (1)
- कोरोना लॉक डाउन (1)
- खिचड़ी (1)
- गुरु उत्सव (1)
- गौरव के पल (2)
- जय माता दी (1)
- जय श्री राम (1)
- जागरूकता (1)
- निष्पक्षता (1)
- बधाई (2)
- भारत माता की जय (1)
- मन की बात (20)
- महत्व (3)
- महामृत्युंजयमन्त्र 🙏🙏 (1)
- यादों के झरोंखों से (1)
- लघु रामायण (1)
- लेख (23)
- लेख कोरोना काल (1)
- लेख-जय हिंद (1)
- वन्दे मातरम (1)
- वीर भगत सिंह अमर रहें (1)
- शुभकामनाएं (3)
- शुभकामनायें ..... (4)
- श्रद्धांजलि----- (4)
- श्रधान्जली... (1)
- संग्रह (1)
- संस्मरण (1)
- सामयिक (2)
- स्वतंत्रता लेख (1)
- हाइकु (1)
- होली का हुड़दंग (3)
- होली के फीके रंग (1)
:) Well Said...
ReplyDelete