Sunday 10 December 2017

निद्रा


१-रात्री आगाज़ 
चहकती नींद ने
पाँव पसारा
२-तम हराया 
टिमटिमाती लौ ने
विजयी दीप
३-झुकी पलकें
निंदिया आगमन
चिंतन मुक्त
४-असहनीय
अँधेरे का सन्नाटा
भोर प्रतीक्षा
५-खामोश रात
माँ की लोरी सुरीली
पलकें भारी
६-बंद आँखे
गहरी निद्रा आई
सजे सपने

No comments:

Post a Comment

आपके आगमन पर आपका स्वागत है .................
प्रतीक्षा है आपके अमूल्य विचारों की .
कृपया अपनी प्रतिक्रया अवश्य लिखिए