आज कुछ लोग 'फूल देई' पर्व मना रहे हैं .....
इस नाम को सुन कर में भी कुछ वर्ष पीछे लौट चली
.मन ले गया
एक छोटे से गाँव में , मेरे गांव हाजीपुर
जहाँ होली से कुछ दिन पूर्व एक पर्व मनाते थे
'फुलेरा दौज'
फूलों की दौज
गाँव में फूलों की कोई कमी नहीं होती
सुबह से दोपहर तक फूल इकट्ठा किये जाते
और फिर लड़कियों की टोली निकल पड़ती थी
हर द्वार फूल डालने ........
और देर तक मुहल्ले की लड़कियों के समूह व्यस्त रहते
मुझे लगता है बसंत आते ही जगह -जगह नए फूलों के आगमन पर स्वागत का एक तरीका है हर जगह .
तरह-तरह से मनाते हैं लोग कि बसंत आ गया 😊😊
बचपन की बहुत अच्छी याद है
.#यादों_के_झरोंखों_से
उपयोगी आलेख।
ReplyDeleteकभी तो दूसरों के ब्लॉग पर भी अपनी टिप्पणी दिया करो।