Monday 6 July 2020

किसान की मुस्कान

नन्ही -नन्ही बूंदों ने जब अपना राग सुनाया 
व्याकुल किसान की व्याकुलता को ,हुलसाया -हर्षाया !

हल--बैलों की जुगल बंदी संग, धरती ने ली तान
झम -झमा झम , झम--झम ,झम--झम बरखा गाये गान !

हल चलाते कृषक अधरों पर ,खेल रही मुस्कान 
भूल गया वो ताप , पसीना , सूरज का अभिमान !

लहलहाती फसल करेगी जब ,अभिनन्दन ,सम्मान 
बीज -धरा का मिलन रखेगा ,परिश्रमी किसान का मान .

5 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (08-07-2020) को     "सयानी सियासत"     (चर्चा अंक-3756)     पर भी होगी। 
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  3. Nice article, good information and write about more articles about it.
    Keep it up
    blogger template premium version download here

    ReplyDelete

आपके आगमन पर आपका स्वागत है .................
प्रतीक्षा है आपके अमूल्य विचारों की .
कृपया अपनी प्रतिक्रया अवश्य लिखिए