Saturday 3 December 2022

दाने-दाने पर खाने वाले का नाम

1 दिसम्बर 2007 या 8 की बात है, सबसे छोटी बहन की बुलन्दशहर मेन रोड पर स्थित शिप्रा होटल में शादी थी, होटल के सामने से भारी मात्रा में ट्रैफिक निकलता है, दिल्ली से पहुंचने वाली बस भी उसी मार्ग से अक्सर निकलती थीं, अब तो फ्लाई ओवर बन गया और रूट बदल गया है लेकिन उस समय भागती-दौड़ती बसों से यात्री उतरते रहते थे।
 लोकल बारात थी, भोजन के समय अनुमान से अधिक भीड़ थी , सोचा लोकल लोग हैं शायद भाईचारे में अधिक लोग आ गए हैं , लेकिन बीतते समय के साथ-साथ भीड़ कम होने का नाम नही ले रही थी। पता चला वो बारात के साथ नही हैं और घर के भी नहीं है तो कौन हैं 🤔🤔 ?? 
हमारी माताश्री चिंतित मुद्रा में हाथ जोड़े खड़ी थीं कि ईश्वर लाज रखना 🙏🙏🙏🙏
कुछ समस्या खड़ी न हो जाये इस सोच के साथ हमारे हलवाई महाराज ने कुशलता का परिचय देते हुए तुरन्त निर्णय लिया, उन्हें जब लगा कि लोग अधिक हो रहे हैं तो उपलब्ध खाद्य पदार्थों से जो भी बन सकता था, उसी से कुछ-कुछ  बना कर भेजना आरम्भ कर दिया  बहुत देर की गहमा-गहमी के बाद ,भीड़ छंटने लगी ! 
कोई भी बिना भोजन के नही गया ।🙏🙏
हमारे बड़े जीजाजी जो एक इंटर कॉलेज में प्रिंसिपल थे
 (अब सेवा निवृत्त हैं)  कुछ बच्चे उनसे आकर मिले , पैर छू कर बोले मास्टर जी आप ?? हम तो दिल्ली से आये थे , बस से उतर गए कि चलो खाना खा लें, अब आप मिल गए, अब तो जम कर खाएंगे  😊😊
उन्होंने राज खोला कि बस से उतर ने वाले हम जैसे छात्र और कुछ मनमौजी लोग यहाँ होने वाली शादियों में अक्सर खाना खाकर जाते हैं 😀
अब वो भीड़ कैसी थी , कहने की आवश्यकता नहीं 😀😀
ये लम्बा-चौड़ा किस्सा इस लिए कि कल एक बच्चे ने बिना निमंत्रण के किसी शादी में खाना खा लिया तो उससे बर्तन धुलवाए और वीडियो वायरल कर दिया 😡 इससे बड़ी धृष्टता हो नही सकती , कोई किसी का दिया नही खाता, सब के हिस्से पर उसका नाम है, वो कहाँ है , किसने बनाया कुछ मायने नही रखता ।
बच्चे हैं , कभी शरारत वश, कभी घर से दूर स्वादिष्ट भोजन की तलाश में ऐसे कदम उठा लेते हैं , कोई अपराध तो नही है ये 😏😏
आप 2-4 सौ लोगों को खाना खिला रहे हैं , एक बच्चे से कौन सी कमी आ गयी , ये बहुत ही संवेदनहीनता है ,
 बेचारा बच्चा ❤️❤️❤️❤️
ये जीवन के अच्छे स्मरणीय अनुभव बन सकते हैं, पर स्वभाव अपना-अपना 🤷

भोजन का आयोजन किसी ने भी किया हो , खायेगा वही, जिसका हिस्सा है । हमारी माताश्री चिंतित इस लिए नही थीं कि कौन हैं और क्यों हैं ? इस लिए थीं कि उनका सम्मान रह जाये, और कुछ कमी न रहे ।  
ईश्वर ने उनका सम्मान बनाये रखा, कोई बिना खाये नही गया और वो प्रसन्न थीं कि उन्हें अवसर मिला इतने लोगों को अतिथि बना सकीं 🤗🤗🤗🤗
❤️❤️❤️❤️
उसकी शादी में हमने अरहर की दाल और रोटी खाई, नही पता क्या, कैसा बना था😊 परंतु माताश्री के मुख से हटती चिंता की लकीर से मन तृप्त था 🙏🙏
जय श्री राम

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