धरा बची तो ही बचेंगे
नहीं तो सब ठिकाने लगेंगे ...
नहीं तो सब ठिकाने लगेंगे ...
१-जल प्रदूषित , थल प्रदूषित
चहुँ ओर है हवा प्रदूषित
श्वास तोडती धरा हमारी
नील गगन का रंग प्रदूषित
चहुँ ओर है हवा प्रदूषित
श्वास तोडती धरा हमारी
नील गगन का रंग प्रदूषित
२-पर्यावरण में विष घुला है
प्रकृति में भी घुन लगा है
सात रंग का इंद्र धनुष भी
रंगहीन लगने लगा है
प्रकृति में भी घुन लगा है
सात रंग का इंद्र धनुष भी
रंगहीन लगने लगा है
३-वृक्ष अब कटने लगे है
वन्य जीव बेघर हुए हैं
ऊँची-ऊँची इमारतों से
कंक्रीट के वन बने हैं
वन्य जीव बेघर हुए हैं
ऊँची-ऊँची इमारतों से
कंक्रीट के वन बने हैं
४-हम सब मिल करें प्रयास
पेड़ लगाएं आस -पास
डूब रही नैया को अपनी
साहिल के पास
५-पेड़ क्यों न हम लगाएं
हरियाली को पुनः जगाएं
पर्यावरण का संरक्षण कर
वसुंधरा का क़र्ज़ चुकाएं |
ले आयें
५-पेड़ क्यों न हम लगाएं
हरियाली को पुनः जगाएं
पर्यावरण का संरक्षण कर
वसुंधरा का क़र्ज़ चुकाएं |
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन मां सब जानती है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteधन्यवाद आपका ........और क्षमा अत्यंत देरी के लिए
Deleteपानी और पेड़ से मानव प्यार करने लगे तो यकीनन धरती जी उठेगी...
ReplyDeleteधन्यवाद आपका ........और क्षमा अत्यंत देरी के लिए
Deleteबहुत सुन्दर कविता .....
ReplyDeleteधन्यवाद आपका ........और क्षमा अत्यंत देरी के लिए
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