पतंग पर्व य्या मकर पर्व
हमारे यहाँ आज पतंग नहीं उडाई जाती .....हमारे यहाँ बुलंदशहर में रक्षा बंधन पर और दिल्ली में १५ अगस्त को पतंग उड़ाने का आनंद उठाते हैं लोग ........
लेकिन आज के दिन भी लोग खूब पतंग उड़ाते हैं ..........
देश के बहुत से हिस्से में जम कर पतंग उड़ाने का आनद उठाया जाता है ........
आज भी दिन भर डोर के माध्यम से आसमान को चूमती पतंग उडती रही , मज़बूत मांझे ने धाक जमाई ..... कमज़ोर मांझे ने मुँह की ज़रूर खायी लेकिन हिम्मत से सामना किया .......और हौसले उसके भी बुलंद रहे .........आसमान में उसने भी उंचाई तक जगह बनायी ......पतंग कट जाने पर भी , गिर जाने पर भी ऊँची और ऊँची उडती नज़र आई
...........मांझा और पतंग पूरक हैं एक दूसरे के .........मांझा कितनी ईमानदारी से कट कर ,टूट कर भी पतंग को आसमान में उंचाई तक पहुंचाता है ...........
उडती पतंग सिर्फ एक खेल ,प्रतिस्पर्धा या एक मनोरंजन ही नहीं ------------
---प्रतीक है उड़ान भरते स्वप्नों का ,स्वस्थ राह बना प्रतियोगिता में आगे बढ़ने जाने का
.............सब के स्वप्न यूँही उड़ान भरें , सब अपनी राह पर आगे और आगे बढे .......
असफलता से हार ना मान और ऊँची उड़ान भरें ...............
आपको भी हार्दिक शुभकामनाएँ
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