रंगहीन रंग होली के
फगवा हुआ उदास 😢😢
'लाल' गए और घर गए
नही होली में उल्लास 😐😐
--जिंदगी में क्या नहीं है ? समझो सब कुछ यहीं- कहीं है धूप -छाँव है , हँसी -ख़ुशी है , सुख है ,दुःख है कुछ नहीं कम , सब कुछ एक साज़ पर बजता एक ही है इसकी सरगम...!!! अपनी अकुलाहट , छटपटाहट सब कुछ इन शब्दों में सहेजने का प्रयास करती हूँ मन को शांत करने का , एक -दूसरे के मन में झाँकने का , अपने ही विचारों को उकेर कर सामने लिखा देखने का एक बहुत सुंदर माध्यम है ........... कई बार शब्द साथ नहीं देते लेकिन अक्सर कुछ न कुछ शब्दों के माध्यम से बाहर आता रहता है ............
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (11-03-2020) को "होलक का शुभ दान" (चर्चा अंक 3637) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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रंगों के महापर्व होलिकोत्सव की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह!!!
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