Monday, 22 April 2013

थोड़ा गुलाल ,


थोड़ा गुलाल , थोड़ा विशेष प्यार ......

 आपके अपने प्रियतम कुछ यूँ सोच रहे हैं ------------

'सोच रहा हूँ इस होली पर.. दिल के रंग निकालूँगा

रंग से रंगे बिना ही प्रियतमा .. होली आज मना लूंगा ।

एक रंग होगा आलिंगन का , शर्म से तुझको लाल करे

सतरंगी इतनी बन जाओ ..मेरा हाल बेहाल करे .....।

अबीर गुलाल दूंगा अधरों से .. तेरे सुर्ख कपोलों पर 

दिल की भाषा सुने सुनाएँ..विराम रहेगा बोलों पर

अधरों से होगा अधरों पर .. वो तो रंग निराला होगा

उसकी रंगत कभी ना उतरे ..भंग निराला ऐसा होगा.

4 comments:

  1. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज मंगलवार (23-04-2013) के मंगलवारीय चर्चा --(1223)"धरा दिवस" (मयंक का कोना) पर भी होगी!
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
    सूचनार्थ...सादर!

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  2. नमस्कार मयंक जी सादर आभार ..........
    सच ही मुझे बहुत हर्ष हो रहा है ,और इसके लिए आपकी ह्रदय से आभारी हूँ ..........

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  3. are waah aap yahan hai aur ham samooh me hi dhoondhate rahe :) bahut sundar prastuti , usase jyada khushi aapko dekhkar hui . follow kar rahi hoon ab aapko yahin padhenge .:) charcha manch par swagat hai aapka

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    1. शशिजी स्वागत है आपका मेरे शब्दों के गड़बड़ झाले में .........:)

      चचा मंच तक पहुंचाने का श्री देना चाहूंगी डा. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी को उन्ही के प्रयास से में वहां हूँ ..................और में तो आपको पढ़ती रहती हूँ ...लघु कथा भी पढ़ी आपकी .........

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