पीले पत्ते पेड़ों से गिर कर , नए पत्तों को स्थान दे रहे हैं...
यही नियम बनाया है प्रकृति ने ,उसे सम्मान दे रहे हैं.....
मानव भी इसी तरह ,जीवन -पथ पर चलता ,पत्ते सा झड जाता है....
किसी माँ की कोख का कोई नन्हा शिशु ,उसका स्थान पा जाता है.......
नदिया का जल भी समुद्र में विलीन हो , नए जल का स्थान बनाता है.......
तरु का फल भी मिट जाता है , और नए बीज को जन्म दे जाता है.......
जो विनम्र और सहनशील बन इस नियम को अपनाता है......
वही महान बन अमर हो जाता है..........
जो समझ न सका इस बात को , अपनी अकड़ दिखता है.......
वह किसी अकड़े तालाब की भांति दूषित और उपेक्षित हो जाता है
आज की ब्लॉग बुलेटिन १०१ नॉट आउट - जोहरा सहगल - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteअत्यंत हर्ष के साथ आभारी हूँ आपकी .........
Deleteबिलकुल सही प्रकृति के नियम से सभी बंधे है ..........
ReplyDeleteजी संध्या जी टिप्पणी हेतु आभार
Deleteबहुत खूब कहा आपने | बधाई |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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सादर धन्यवाद तुषार जी .........
Deleteसुन्दर और सटीक प्रस्तुति !
ReplyDeleteडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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सादर आभार कालीपद जी .........
Deletebahut khoob
ReplyDeleteआभार गीता जी
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