Saturday, 27 April 2013

प्रकृति का नियम




पीले  पत्ते पेड़ों से गिर कर , नए पत्तों को स्थान दे रहे हैं...

यही नियम बनाया है प्रकृति ने ,उसे सम्मान दे रहे हैं.....

मानव भी इसी तरह ,जीवन -पथ पर चलता ,पत्ते सा झड जाता है....
किसी माँ की कोख का कोई नन्हा शिशु ,उसका स्थान पा जाता है.......

नदिया का जल भी समुद्र में विलीन हो , नए जल का स्थान बनाता  है.......
तरु का फल भी मिट जाता है , और नए बीज को जन्म दे जाता है.......

जो विनम्र और सहनशील बन इस नियम को अपनाता है......
वही  महान बन अमर हो जाता है..........

जो समझ न सका इस बात को , अपनी अकड़ दिखता है.......
वह किसी अकड़े तालाब की भांति दूषित  और उपेक्षित हो जाता है 

10 comments:

  1. आज की ब्लॉग बुलेटिन १०१ नॉट आउट - जोहरा सहगल - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. अत्यंत हर्ष के साथ आभारी हूँ आपकी .........

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  2. बिलकुल सही प्रकृति के नियम से सभी बंधे है ..........

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    1. जी संध्या जी टिप्पणी हेतु आभार

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  3. बहुत खूब कहा आपने | बधाई |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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    1. सादर धन्यवाद तुषार जी .........

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  4. सुन्दर और सटीक प्रस्तुति !
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest postजीवन संध्या
    latest post परम्परा

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    1. सादर आभार कालीपद जी .........

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