संघर्ष है .....
अपने ही विचार से
मूर्छित होती आस से
मरू भूमि में तृषित भटकते पंथी की प्रबल प्यास से
संघर्ष है
हार से जीत की , हार से
भावनाओं के ज्वार से
मन की उच्च छलांग से
स्वप्न उड़ान पर विराम लगाते हर एक व्यवधान स
संघर्ष है
अपने काम -काज से
अपने से और आप से
पांव पसार सम्राट बना है ऐसे भौतिक वाद से
प्राथमिकता की सूची में दायित्व और अधिकार से ..
अपने ही विचार से
मूर्छित होती आस से
मरू भूमि में तृषित भटकते पंथी की प्रबल प्यास से
संघर्ष है
हार से जीत की , हार से
भावनाओं के ज्वार से
मन की उच्च छलांग से
स्वप्न उड़ान पर विराम लगाते हर एक व्यवधान स
संघर्ष है
अपने काम -काज से
अपने से और आप से
पांव पसार सम्राट बना है ऐसे भौतिक वाद से
प्राथमिकता की सूची में दायित्व और अधिकार से ..
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
ReplyDeleteसाझा करने के लिए आभार...!
--
सुखद सलोने सपनों में खोइए..!
ज़िन्दगी का भार प्यार से ढोइए...!!
शुभ रात्रि ....!
धन्यवाद शास्त्री जी
ReplyDeleteजीवन भी तो एक संघर्ष ही है ... सतत चलने वाला संघर्ष ...
ReplyDeleteजी दिगंबर जी आभार
Deleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
आभार महेंद्र जी
Deletevastvik sangharsh insaan ka apne aap se hi chalta hai ... bahut sateek...
ReplyDeleteसच कहा .......
Deleteगहरी बात ...अर्थपूर्ण
ReplyDeletedhnywaad monika ji
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