बरखा रानी बरखा रानी
मत करो अपनी मनमानी
सता चुके हैं सूरज दादा
अब लेकर आजाओ पानी
छुट्टियाँ बीती नानी के घर
पसीना बहा खूब अंजुली भर
मंच सज़ा है आओ तो
आकर मुह दिखलाओ तो
हर आहट पर इंतज़ार है
गर्मी से हुए बेज़ार हैं
आओ अपना कद पहचानो
अपनी एहमियत को जानो
मंतव्य हमारा पूरा करदो
सबके मन खुशियों से भर दो
अभिनन्दन को खड़े तैयार
बरखा रानी आये तो द्वार
सुन्दर आह्वान.
ReplyDeleteधन्यवाद निहार जी
Deleteइंतज़ार कीजिये बारिश जरुर होगी!
ReplyDeletelatest post: प्रेम- पहेली
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
ज़रूर कालीपद जी आभार
Deleteबहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार.
ReplyDeleteआभार राजेन्द्र जी
Deleteबरखा रानी का इंतज़ार तो सभी को है ...
ReplyDeleteछम छम करती वो जल्दी ही आएगी ... सार्थक .. सुन्दर रचना ...
धन्यवाद दिगंबर जी
Deleteबहुत सुन्दर जी ,........!!
ReplyDeleteधन्यवाद दीप जी
DeleteBahut hi Sweet Nimantran Barkha Rani ko ....Jarur Barkha rani Aayegi
ReplyDeleteधन्यवाद मंजुल जी
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