Monday, 10 June 2013

बरखा रानी बरखा रानी









बरखा रानी बरखा रानी 
मत करो अपनी मनमानी 
सता चुके हैं सूरज दादा 
अब लेकर आजाओ पानी 
छुट्टियाँ बीती नानी के घर 
पसीना बहा खूब अंजुली भर 
मंच सज़ा है आओ तो 
आकर मुह दिखलाओ तो 
हर आहट पर इंतज़ार है 
गर्मी से हुए बेज़ार हैं
आओ अपना कद पहचानो 
अपनी एहमियत को जानो 
मंतव्य हमारा पूरा करदो 
सबके मन खुशियों से भर दो 
अभिनन्दन को खड़े तैयार 
बरखा रानी आये तो द्वार

12 comments:

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    1. धन्यवाद निहार जी

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    1. ज़रूर कालीपद जी आभार

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  3. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार.

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    1. आभार राजेन्द्र जी

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  4. बरखा रानी का इंतज़ार तो सभी को है ...
    छम छम करती वो जल्दी ही आएगी ... सार्थक .. सुन्दर रचना ...

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    1. धन्यवाद दिगंबर जी

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  5. बहुत सुन्दर जी ,........!!

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  6. Bahut hi Sweet Nimantran Barkha Rani ko ....Jarur Barkha rani Aayegi

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    1. धन्यवाद मंजुल जी

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