तलवार ,खडग ,बन्दूक चली ,चली तोप की पिचकारी
बजा युद्ध का बिगुल , 'मनु ' के साथ कड़ी हुई 'झलकारी'
मंगल पांडे की चिंगारी ,भड़की शोला बनकर
कफ़न बाँध चल पड़े दीवाने , भगवा वस्त्र पहन कर
युवा रक्त हिलौरे मारे , सीने में जलते अंगारे
कलम हाथ ले खड़े हो गए ,उठ समाज के लेखक सारे
हर तहरीर जोश बढाए ,युवा पग अब रूक ना पाए
२०० साल नरक है भोगा , अब तो इनको जाना होगा
सूली बने पेड़ के डाले , हँस -हँस झूल पड़े मतवाले
चौरा -चौरी और काकोरी जैसे ज़ख्म उन्हें दे डाले
नहा लहू से जलियाँ वाला ,रक्तिम एक इतिहास लिख गया
जार -जार रोया था हर दिल ,मर्म सभी का वो छू गया
बना साक्षी काला पानी , असंख्य वीरो की कुर्बानी
अमानवीय था जो सह आया , सावरकर सा अमर बलिदानी
असहनीय था जो सहते थे , आँखों में सपने रहते थे
पार हदें क्रूरता करती ,मानवता सिसकी थी भरती
सेलुलर बना पांचवां धाम ,
..नत मस्तक हर हिन्दुस्तानी ,करता है दिल से सम्मान
खो गए अनेक इतिहास में , आ नहीं सके प्रकाश में
कम नहीं उनका योगदान , आओ करें मिल उन्हें सलाम
आखिर एक सुबह वो आई , आज़ादी की खुशबू लाई
'यूनियन जैक' परास्त हो गया ,भारतीय ध्वज ने विजय पायी
फहर तिरंगा लाल किले पर ,आसमान में लहराया
धुन बज उठी राष्ट्र गान की, जज्बे से सबने गाया
किया सामना बंटवारे का , खंडित होते भाई चारे का
हे तिरंगे तुझे सलाम , हर बलिदानी का मान
धूमिल न हो पाए आज़ादी , हर पीढ़ी का है ये काम ...........जय हिंद
कफ़न बाँध चल पड़े दीवाने , भगवा वस्त्र पहन कर
युवा रक्त हिलौरे मारे , सीने में जलते अंगारे
कलम हाथ ले खड़े हो गए ,उठ समाज के लेखक सारे
हर तहरीर जोश बढाए ,युवा पग अब रूक ना पाए
२०० साल नरक है भोगा , अब तो इनको जाना होगा
सूली बने पेड़ के डाले , हँस -हँस झूल पड़े मतवाले
चौरा -चौरी और काकोरी जैसे ज़ख्म उन्हें दे डाले
नहा लहू से जलियाँ वाला ,रक्तिम एक इतिहास लिख गया
जार -जार रोया था हर दिल ,मर्म सभी का वो छू गया
बना साक्षी काला पानी , असंख्य वीरो की कुर्बानी
अमानवीय था जो सह आया , सावरकर सा अमर बलिदानी
असहनीय था जो सहते थे , आँखों में सपने रहते थे
पार हदें क्रूरता करती ,मानवता सिसकी थी भरती
सेलुलर बना पांचवां धाम ,
..नत मस्तक हर हिन्दुस्तानी ,करता है दिल से सम्मान
खो गए अनेक इतिहास में , आ नहीं सके प्रकाश में
कम नहीं उनका योगदान , आओ करें मिल उन्हें सलाम
आखिर एक सुबह वो आई , आज़ादी की खुशबू लाई
'यूनियन जैक' परास्त हो गया ,भारतीय ध्वज ने विजय पायी
फहर तिरंगा लाल किले पर ,आसमान में लहराया
धुन बज उठी राष्ट्र गान की, जज्बे से सबने गाया
किया सामना बंटवारे का , खंडित होते भाई चारे का
हे तिरंगे तुझे सलाम , हर बलिदानी का मान
धूमिल न हो पाए आज़ादी , हर पीढ़ी का है ये काम ...........जय हिंद
आप ने लिखा... हमने पढ़ा... और भी पढ़ें... इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना शुकरवार यानी 16-08-2013 की http://www.nayi-purani-halchal.blogspot.com पर लिंक की जा रही है... आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस हलचल में शामिल रचनाओं पर भी अपनी टिप्पणी दें...
ReplyDeleteऔर आप के अनुमोल सुझावों का स्वागत है...
कुलदीप ठाकुर [मन का मंथन]
कविता मंच... हम सब का मंच...
आभारी हूँ कुल दीप जी ..........
Deleteसच्चा, सार्थक और सुन्दर प्रयास अरुणा...:)
ReplyDeleteआभार सरस जी ..............
Deleteओज़स्वी ... हिलोरें लेता हुआ गीत ... देश प्रेम की आभा लिए ...
ReplyDeleteदिगंबर जी आभार
Deleteदेशभक्ति से सराबोर रचना..
ReplyDeleteआभार मंजूषा जी ..........
Deleteवाह ...अर्थपूर्ण प्रवाहमयी पंक्तियाँ
ReplyDeleteआभार मोनिका जी
Delete♥ वंदे मातरम् ! ♥
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खो गए अनेक इतिहास में , आ नहीं सके प्रकाश में
कम नहीं उनका योगदान , आओ करें मिल उन्हें सलाम
सौ सौ सलाम !
सुंदर राष्ट्र भक्ति के भाव हैं आपकी रचना में आदरणीया अरुणा जी !
साधुवाद बधाई और शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
आभार राजेन्द्र जी ..........वन्दे मातरम
Deleteनमस्कार arun जी
ReplyDeleteसादर आभार ........जय हिन्द .......