हिंदी तेरी अजब कहानी
तू मेरे सपनो क़ी रानी
तेरे मर्म से परिचय मेरा
तुझसे मेरा शाम -सवेरा
अपने ही घर में अनजान
खो गयी तेरी पहचान
पहन मुखौटा विदेशियों का
अस्मत क़ी तेरी नीलाम
और सभी भाषा भी हमको
लगती तेरी बहन समान
पर हम सह ,अब नहीं पा रहे ,
हो यहाँ ,तेरा अपमान
नव पीढी तुझसे अनजान
नहीं उन्हें ,तेरा है ज्ञान
वो हैं ,तुझको तुच्छ मानते
नहीं तेरा स्थान जानते
मोह भंग कराना होगा
मोह भंग कराना होगा
तेरा सम्मान दिलाना होगा
बिंदी तू मेरे भारत क़ी
हिंदी तू मेरा अभिमान
सुंदर वर्णों से अलंकृत
बढ़ा रही भारत का मान
स्वर ,व्यंजन बच्चे हैं तेरे
तू है उनकी माँ समान
हिंदी मुझको गर्व यहाँ है
तुझसे है मेरी पहचान
बहुत ही सुन्दर बेहतरीन प्रस्तुती,धन्यबाद।
ReplyDeleteभाषा रहेगी तो अपनी पहचान भी रहेगी जो बहुत जरूरी है किसी भी राष्ट्र, समाज के लिए ... सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteबधाई हिंदी दिवस की ...
नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (15-09-2013) के चर्चामंच - 1369 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteलघुत्तम बहर सुन्दर भाव और अर्थ।
ReplyDeleteअपनी भाषा ही अपना गौराव गान ,संस्कृति और इतिहास संजोये रहती है। अपना एक मुहावरा एक उपालम्भ लिए रहती है। जो बात तुझमे माँ सरस्वती निज भाषा में वह किसी और में नहीं भले सीखो मनोयोग से अंग्रेजी भी पर सर्च इंजिन अपनी भाषा हो। बहुत सही लेख।
बिंदी तू तो मेरे भाल की ,
घनानंद की हुई सुजान।
बेहतरीन हिंदी स्तुति