हँसते- रोते , मुस्कान फैलाते ,
मुक्त खिलखिलाहट बिखराते
निष्कपट मन से प्यार लुटाते ,
जिसका स्नेह पाते उसके हो जाते
समाज की मानसिक संकीर्णता से दूर ,
पर समझ -बूझ से भर पूर
जो मासूमियत और बचपन से भरपूर
बाल क्रीडा फैलाते ,ये नन्हे बालक कहलाते
जीवन के अति सुंदर क्षण बाल्यावस्था में ही बीत जाते
काश !!!! हम सदा बच्चे ही रह पाते ,
काश !!!! हम सदा बच्चे ही रह पाते
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