जनसत्ता के साथ हमारी याद
by अरुणा सक्सेना on Friday, May 27, 2011 at 7:37am
जनसत्ता में छपा मेरा अंतिम पत्र ...अब तो जनसत्ता की याद भर रह गयी हैं एक समय था जब जनसत्ता सर्वश्रेष्ठ समाचार पत्र था ओर हमारा खाना हज़म नहीं होता था पढ़े बिना.....लेकिन प्रभाष जोशी के साथ ही उसका आकर्षण भी चला गया
.एक चुनाव में जब इमरान खान(पकिस्तान) हार गया ,वो नौ जगह से खड़ा था औरसब जगह से हार गया तब हमारी आराधना बहनजी ने क्या कहा जनसत्ता के ज़रिये ....
No comments:
Post a Comment
आपके आगमन पर आपका स्वागत है .................
प्रतीक्षा है आपके अमूल्य विचारों की .
कृपया अपनी प्रतिक्रया अवश्य लिखिए