Friday 5 April 2013

...............ममता की गोद ...



.


अरे सुनता क्यों नहीं अभी कच्चे हैं चावल और उबाल ! दादी ने एक चम्मच चावल खाए ही थे कि कर्कश स्वर में बोल उठी ......
विशु ने निराश हो भगोने में थोडा सा पानी डाला और फिर से गैस पर रख दिया .............ये पांचवी बार था .......
गैस धीमी कर उसने मुह पर पानी डाल लिया .......पसीना -पसीना हो रहा था आधे घंटे पहले ही स्कूल से लौटा था ......
.................................भूख उसे भी लगी थी लेकिन क्या करे ???

ये रोज़ का नियम है ...........जब से माँ  नहीं रही रोज़ उसे रोज़ ही इसका सामना करना पड़ता है .............घर में घुसते ही वो अपना बैग भी  रख नहीं पाता कि दादी का स्वर सुनाई देता है अरे जल्दी कर भूख लगी है ............
.
वो झुंझला उठता है लेकिन क्या करे ?????????...कोई चारा नहीं उसके पास हंस कर या रोकर उसे करना ही पड़ता है ............!!!!!!

जब माँ थी तो वो खाने में बड़े नखरे करता था माँ बड़े ही मनुहार से उसे खिलाती ..............उसे स्कूल खाना ले जाना पसंद नहीं था .........

माँ बैग में छुपा कर रख देती थी लेकिन वो निकलवा कर ही मानता ..........आज उसे सब बहुत याद आता है ..........काश !!!!! माँ होती ........और वो उस से लिपट जी भर रो लेता .............

 सोते समय रोज़ एक ही विनती करता है विशु भगवान् से ....हे ईश्वर मुझे माँ से ज़रूर मिलाना सपने में ..और कभी -कभी भगवान् उसकी सुन भी लेते हैं जब उठता है तो उसे याद भी नहीं रहता कि माँ के साथ क्या किया या .माँ ने क्या कहा .बस इतना ही ध्यान रहता है कि माँ को देखा था उसके पास थी वो उसके लिए यही बहुत है ..........उस दिन वो बहुत खुश रहता है ........... .लेकिन रोज़ तो ऐसा होता नहीं ........फिर भी वो निराश नहीं होता रोज़ इसी आशा में सोता है कि आज आएँगी माँ ...आज आएँगी .........
कहाँ हो माँ ...???.कहाँ चली गयी .........?.क्यों चली गयी .............??..........विशु बुदबुदाया 

.इन्ही सवालों के बीच उसने प्लेट में फिर से चावल डाले दाल फिर से गरम की.और दादी को दे आया ...........हाँ अब ठीक है दादी का स्वर सुना तो बड़ी राहत मिली उसे ...............उसने कपडे बदले मुह हाथ धोया और अपने लिए भी दाल -चावल मिला कर कमरे में आ गया ...........पंखा चला खाना ही चाहता था कि आवाज़ आई अरे पानी दे जा ......उफ्फ्फ्फ़ ....कैसे भूल गया .....जग भर दादी के कमरे में स्टूल पर रख आया और खाना शुरू ही किया था कि उसे जोर से रुलाई फूट पड़ी..........मम्मा कहाँ चली गयीं ........???????? .........

कुछ देर रोने के बाद मन हल्का हो गया .........खाना ठंडा हो गया था उसे गले से नीचे उतार बर्तन वहीँ रख वो निढाल सा बिस्तर पर पड़ गया .......जब माँ थी तो आते ही सीढ़ियों से चिल्लाता .......मम्मा क्या बनाया है बहुत भूख लगी है ........खाना ना ले जाना उसे सीढ़ियों से ही चिल्लाने पर विवश कर देता था 
माँ हंसती और कहती .और मत ले जाया कर खाना ........फिर जल्दी से मनपसन्द खाना उसके सामने होता .........
एक दुर्घटना ने माँ को छीन लिया पांचवी क्लास में था वो ........लेकिन माँ के जाने का मतलब खूब जानता था ........कुछ समय बाद पापा की कंपनी बंद हो गयी और अचानक उनकी नौकरी भी चली गयी
.....अब विवशता थी ......बीमार दादी को लेकर कहाँ नौकरी ढूंढें ........???..........विशु को छोड कर कहाँ जाएँ ........बस यहाँ शहर जो काम मिला था कर रहे थे ......लेकिन बड़ा मुश्किल समय था .......सुबह दादी का काम पापा कर जाते ...नाश्ता भी बनाते दोपहर के लिए सब्जी या दाल भी बना जाते लेकिन दोपहर में चावल रोज़ आ कर विशु को बनाने पड़ते थे ..और कक्षा सात में पढने वाले बच्चे के लिए ये काम बड़ा कठिन था ...... ..........विशु तो अपने दोस्तों से भी कट गया था ......स्कूल जाता और दोपहर का खाना दादी को खिला कर अपने कमरे में कैद हो जाता ..........स्कूल का काम करता और टी वी देख सो जाता .......रोज़ का यही नियम था ..............कभी-कभी उसे लगता दादी जान -बूझ कर उसे परेशान करती हैं .........पापा समझाते ऐसा नहीं है बेटा उनकी उम्र है ऐसा समय सबके साथ आता है ....................सोचते -सोचते विशु को नींद आ गयी .........सोते में उसके मुख पर एक मुस्कान खिंची थी ........एक तृप्ति थी उसके मुख  पर .
...शायद माँ उसके पास थी ............स्वप्न में ही सही ...वो ममता की गोद में था ...............