'अगली बार मिलते हैं टोक्यो ओलिम्पिक में' इस वादे के साथ ओलिम्पिक का महाकुम्भ समाप्त और रियो से विदा हुए |
117 प्रतियोगी, दो पदक और 67 वाँ स्थान !!! किसी की कोई आलोचना नही न इस लायक हूँ में लेकिन एक सुझाव कि खिलाड़ियों से आशा रखे तो उन्हें सुविधाएं भी दी जाए उन्हें आज से ही चार साल बाद के लिए तैयार किया जाए खेल में मर रही खेल भावना को जीवित रखने के उपाय किये जाए ,सम्बंधित लोग कर सकते हैं पैसा भी मुझे नही लगता कोई बड़ी समस्या है और सबसे बड़ी बात अगर अधिकारी
जो खिलाड़ी ओलिम्पिक जैसी प्रतियोगिता में जाने का अधिकारी हो उसका परिश्रम ,लगन किसी भी मायने में कम नही हो सकता |
परिश्रम से खेलना अपना सौ प्रतिशत देना उनका काम ,जीतना उनकी आशा और परिणाम स्वीकार करना विनम्रता यही है एक खिलाड़ी की विशेषता :)
परिश्रम से खेलना अपना सौ प्रतिशत देना उनका काम ,जीतना उनकी आशा और परिणाम स्वीकार करना विनम्रता यही है एक खिलाड़ी की विशेषता :)
जीतने वाले खिलाड़ियों को मेरी हार्दिक बधाई लेकिन भाग लेने वाले अन्य खिलाड़ियों ने भी भारतीय ध्वज की छत्र-छाया में खूब परिश्रम दिखाया वो भी बधाई के पात्र हैं :)