Monday 14 September 2020

हिंदी दिवस

१-पंख फैलाए बांह पसार 
हिंदी पहुंची जन -जन द्वार 
२-अभिव्यक्ति को सरस बनाए 
सामर्थ्य की झलक दिखाए .
३-मान राष्ट्र भाषा का पाया 
हर मन में स्थान बनाया 
४-लम्बी थी ये बहुत लड़ाई 
यूँ ही नहीं अस्तित्व में आई
५-माँ समझे ,हर हिंदी भाषी 
हिंदी थी इतनी अभिलाषी 
६- विश्व में मिल रहा सम्मान
हिंदी भाषी का अभिमान
सभी हिंदी भाषियों को शुभकामनाएं
😊🙏🇮🇳⛳

Wednesday 9 September 2020

कादम्बिनी बनी अतीत

अभी पढ़ा 'कादम्बिनी' और 'नंदन' का प्रकाशन बन्द हो रहा है 
दुखद है !!  दोनो ही स्तरीय पत्रिका रहीं ,लेकिन शायद पाठक नही जुटते होंगे 
पुस्तक प्रेमी हम भी कहाँ पढ़ पाते हैं 
कुछ समयाभाव में , जीवन की आपा-धापी तो धीरे-धीरे रुचि भी कम हो ही जाती है
अंर्तजाल की माया भी है बहुत कुछ
हमारा बचपन चंपक, नंदन,धर्मयुग, कादम्बिनी और NBT के बाल साहित्य के बीच बीता
धर्मयुग से नाता तभी टूटा जब बन्द हो गया
साप्ताहिक, शायद पाक्षिक और आकार भी छोटा हो गया था लेकिन हमने साथ नही छोड़ा
जब धर्मयुग ने मुँह मोड़ा तभी अलग हुए
साहित्य प्रेमी माता-पिता के राज में केवल पुस्तक नहीं ,अच्छे साहित्य से घनिष्टता रही 
विरासत में मिला हमें पुस्तक प्रेम , लेकिन समय - समय की बात ,  कारण बहुत से रहे ,आगे नही बढ़ पाया
पिछले कई वर्ष से नए संस्करण नही पढ़े
जब समय मिलता है , वर्षों पूर्व के संस्करण आज भी अच्छा साथ देते हैं
अगली पीढ़ी में कुछ बच्चे आगे बढ़ा रहे हैं , पता नही कब तक बढ़ेगा
पहले छुट्टियां इन्ही के साथ बीतती थीं 🤗
चर्चा इन्ही पर होती थी, यात्रा के अच्छे साथी थे
सालों पुरानी कुछ कादम्बिनी और कुछ अन्य पुस्तकें आज भी धरोहर के रूप में सुरक्षित हैं 
सम्बन्ध नही था वर्षों से लेकिन ये समाचार पढ़ा तो कुछ टूटता सा लगा 😕
कुछ पुराना समय सामने आ खड़ा हुआ 
ये भी बनने चले अतीत
समय के साथ परिवर्तन को स्वीकारना और स्मृति पोटली दबाए ,आगे बढ़ना ही जीवन है
जय सिया राम 🙏🙏

Friday 14 August 2020

स्वतन्त्रता का दिन

बलिदानियों के समक्ष नतमस्तक से प्रारम्भ कर सुनहरे भारत की चमक बढाने के हर कदम का उल्लेख लाल किले की प्राचीर से !!🇮🇳🇮🇳
कुछ और गर्वित पलों को समेट लिया
 भारतीय इतिहास ने👍 सौभाग्य हमारा कि हम साक्षी बन सके भारत के गौरवशाली पलों के 
हमें गर्व है आप पर 
भारत माता की जय 🇮🇳🇮🇳
जय श्री राम 🙏🏻🙏🏻

#15अगस्त
#लाल_किला
#नरेंद्र_मोदी

Thursday 6 August 2020

धर्मनिरपेक्षता रूपी पाखंड

जब छोटे थे तो फिल्मी कलाकार और क्रिकेटर अलग ही दुनिया के लगते थे 
उन्हें ही मानते थे नायक-नायिका और आदर्श 
पहुंच से बाहर , कुछ पढ़ने को मिल गया और एक छवि बन गयी ,लेकिन आज नई तकनीक, नए माध्यम ,
लगता है धरती तो धरती ,ब्रह्मांड सिमट आया है आस-पास ..और जैसे मोह भंग हो गया 🙄
'दूर से सुहावने ढोल' जैसी ही बात है
 हर जगह न सब बुरे होते हैं न ही सब अच्छे 
लेकिन भारत जैसे सनातनी देश में बड़े-बड़े नाम वाले लोग कल चुप रहे 🤔
देश का इतना बड़ा दिन, सैंकड़ो वर्षों के संघर्ष के बाद #अयोध्या जगमग हुई तो मुँह पर  धर्मनिरपेक्षता का ताला लग गया 😏😏
सब कुछ व्यवसायिक दृष्टिकोण से देखा जाता है
धर्मनिरपेक्षता के आवरण में लिपटे ,बड़े स्वार्थी लोग हैं 
इस कथित धर्मनिरपेक्ष वर्ग का बहिष्कार करो😡
चाहे फिल्मी समाज हो , खेल जगत या कोई भी हो
सारे पाखंड और आदर्श पर्दे के लिए हैं 
खोखले, पाखंडी लोग 😏😏
#जय_श्री_राम
#पाखंड

Tuesday 4 August 2020

राम मंदिर आंदोलन

1990 में हिन्दू धर्म संगठनो ने जब कारसेवा का समय नियत किया तो अयोध्या को छावनी बना दिया गया था ।
सैंकड़ों किलोमीटर पहले ही सड़कों पर अवरोधक और पहरा था 
नाम की मुलायम सरकार का कठोर आदेश था कि अयोध्या में परिंदा भी पर न मारे
कार सेवक सरकार की कड़ी निगरानी में थे जिस पर भी संदेह हुआ पकड़ो और जेल में डालो
लेकिन हमारे कार सेवक अतिरिक्त उत्साह से भरे थे
देश भर से दो-दो, 3-3 के गुट में किसान वेश धर सीधा अयोध्या कोई नही पहुंचा ।  
हफ्तों पहले से छोटी-छोटी यात्रा कर कभी बस, ट्रेन और गांवों , खेतों के रास्ते सैंकड़ों मील पैदल चल कर अयोध्या पहुंचे
रास्ते में पड़ने वाले गांवों में सत्कार भी हुआ
उन्होंने खाना ,सोने का स्थान भी दिया
आखिर राम का प्रश्न था
देश की आत्मा का प्रश्न था
सब तो मुलायम नही थे
जिस दिन कारसेवा होनी थी
अयोध्या में तूफान से पहले की शांति थी  
9-10 बजे तक शहर शांत था , जगह-जगह अवरोधक लगे थे ,सरकार अपनी सफलता पर प्रसन्न हो रही थी
कि अचानक न जाने कहाँ से लाखों कार सेवक दिवंगत अशोक सिंघल जी के नेतृत्व में चौराहे पर पहुंच गए
इस आकस्मिक अवतरण से सभी भौंचक्के थे
जय श्री राम का उद्घोष अयोध्या को रोमांचित कर रहा था
समझ से परे था इतने लोग कहाँ से आये ??

और फिर जो हुआ दरिंदगी के पार था 
अश्रु गैस, लाठी चार्ज और गोली 
गोली चलाने वाले कपड़ों से सैनिक लग रहे थे, परन्तु थे नही !!
 वो मुलायम सरकार के गुर्गे थे जो राम भक्तों को निशाना बना कर मार रहे थे

अयोध्या में खूनी होली खेली गई 😥 अशोक जी भी घायल हो गए
उस समय TV नही था , रेडियो और समाचार पत्र ही माध्यम थे 
उड़ते-उड़ते कुछ सुना , कुछ नही
हाँ ये सब जान गए कि असंख्य राम भक्तों की बलि चढ़ गई है
कई शहरों में कर्फ्यू था 
विस्तार से पढा पांचजन्य में , जहां सब कुछ विस्तार से लिखा था और वो भी चोरी से बिक रहे थे
हमें मिले और हमने पढ़े भी 😥😥
चित्र भी देखे !!
सरयू नदी न जाने कितने मृतकों के जल प्रवाह की साक्षी बनी 🙏🙏
साध्वी और आंदोलन से जुड़े लोगों के भाषण के टेप प्रतिबंधित थे
किसी एक को कुछ मिल जाता तो लोग चोरी छिपे सुनते और साझा करते
लगता था जैसे अपने नही किसी और देश में हैं और बड़े अपराधी हैं 😡😡😡😡
याद है आज भी, एक भय बना रहता था शहरों में

समय एक सा नही रहता 
आज गौरव का दिन है परंतु यहाँ तक पहुंचने के लिए अथक परिश्रम और बलिदान दिया है लोगों ने
 असंख्य है जो नहीं है , बहुत हैं लेकिन लाचार हैं 
उन सबको नमन है
ये श्रद्धांजलि है इस आंदोलन के बलिदानियों के लिए
 🙏🙏
दुर्भावना से कुछ भी करने वाले विरोधियों को भी शुभकामनाएं
उनके विरोध ने संकल्प को और दृढ़ बनाया
5 अगस्त को कोरोना के कारण हम घर बैठे ही उस अद्भुत पल के साक्षी बनेंगे 🙏🙏
अयोध्या का बदलता रूप सुखद है

निर्माणाधीन मंदिर में एक ईंट अपनी माता श्री की ओर से लगा पाएं ये इच्छा है 
और सब समय और हरि पर निर्भर

#जय_श्री_राम
#श्री_राम_मंदिर_आंदोलन
#स्मृति

ऐतिहासिक पल

5 अगस्त  अथक परिश्रम और #जनसंघर्ष के बाद
2019 में अद्भुत #संवैधानिक परिवर्तन और 2020 #धर्म की संवैधानिक विजय का #स्वर्णिम इतिहास लिखने के लिए सदैव स्मरणीय रहेगा 🙏🙏
जय #मोदी सरकार
जय भारत
जय श्री राम
🇮🇳🇮🇳⛳⛳🇮🇳🇮🇳🔔🔔🇮🇳🇮🇳⛳⛳🇮🇳🇮🇳

#कश्मीर
#धारा_370
#बधाई

जय सिया राम

लगभग 500 साल तक चले #जनसंघर्ष के बाद एक आस्तिक मान्यताओं की, विवादित नगरी  विश्व मानचित्र के द्वार
जय-जय सियाराम 🙏🙏
⛳⛳🔔🔔⛳⛳🔔🔔⛳⛳🔔🔔⛳⛳
#अयोध्या
#जय_श्री_राम,

जय श्री राम

#अयोध्या में आडवाणी जी, उमा भारती या अन्य लोग अगर नही जा पा रहे हैं या निमंत्रण नही पा सके तो मुझे लगता है सही है
माना, जाने के अधिकारी हैं लेकिन परिस्थिति के अनुसार निर्णय सही 
भीड़ होना उचित नहीं
समय और परिस्थितिनुसार ही आगे बढ़ना ठीक रहता है
कोरोना काल न होता तो अयोध्या में भारत तो भारत ,विदेश से भी भक्त उमड़ पड़ते
सब प्रसन्न है 🤗
#आडवाणी जी वीडियो सन्देश दे रहे हैं 
#उमाभारती का उत्साह कम नही दिखता
फिर कोई प्रश्न न उठे तो ही उचित होगा
कल का कार्यक्रम सम्पन्न हो तो आगे 2-3वर्ष हैं निर्माण के समय कभी भी कोई भी जा सकेगा
जहां तक इकबाल अंसारी की बात है तो ये औपचारिकता आवश्यक  , सनातन धर्म की परंपरा है ये
फ़ैज़ का विरोध करती हूं लेकिन अंसारी पड़ोसी है तो ठीक है (दोनो की उपस्थिति में अंतर है)
कुछ न सोचिए बस दिवाली मनाइए ,अद्भुत पलों के आनंद लीजिए और #त्रेता के आगमन की कामना कीजिये
प्रतीक्षा है उन पलों की
ईश्वर की इच्छा सर्वोपरि 
जय श्री राम
जय-जय श्री राम 🙏

Sunday 2 August 2020

राखी

कुछ हाइकु मेरे भी ........

भाई की याद 
नन्हे धागे के साथ 
दूर देस में 

खिला है मन 
मिले भाई बहन 
बरसों बाद 

जाग उठी हैं 
बचपन की यादें 
द्रवित मन 

याद आये हैं 
बीत गए वो पल 
बिताये यहाँ 

जलता चूल्हा
सिकती सौंधी रोटी 
फैली सुगंध 

हर कौर में 
माँ का था वो दुलार 
आत्मा भी तृप्त 

सजा है थाल  
बहन  भी तैयार 
राखी के साथ 

सजी कलाई 
बहन के स्नेह से 
भाई प्रसन्न 

तू अभिमान 
दिल के उदगार 
बहन कहे 

माथ सजाये 
अक्षत रोली मिल 
गर्वित टीका 

इस धागे में 
बंधा हमारा प्यार 
अभिमान है 

गया श्रावण 
पूर्णिमा आई आज 
राखी के साथ .............................


सभी को राखी पर्व की शुभकामनाएं

मित्रता -'सुंदर भाव'

मित्र ,कोई दूर, कोई बहुत पास 
मित्रता बहुत सुंदर भाव । 
 जीवन के कई कदम ,कई राह , कई पड़ाव 
और एक नही अनेकों मित्र ! 
कुछ अच्छे , कुछ सच्चे , कुछ बहुत ही विशेष ! 
बचपन में कुछ मिले और बिछुड़ गये
 जिनके बस नाम और धुँधली स्मृतियों में 
कुट्टा-अब्बा सहित साथ बिताये पल हैं पास ।
कुछ संजो गये अतीत मे सुनहरी यादें 
जो हैं आज भी साथ 
 वर्तमान में बहुत सारे मित्र, आभासी संसार से लेकर वास्तविकता तक यहीं हैं आस-पास :-) 
समय चक्र घूमते हुये अपने अनुसार 
परिभाषित कर देता है नये कलेवर , नये रंग-रुप में लेकिन मूल भाव तो वही है -
 मित्रता का , दोस्ती का अपनत्व का :-) 
सभी मित्रों को शुभकामनायें

Thursday 30 July 2020

शिक्षा नीति 2020

नई शिक्षा नीति 2020 बच्चों और अभिभावकों के लिए राहत लेकर आई है जो सम्भवतः 2021से लागू भी हो जाएगी

3 साल प्राथमिक शिक्षा से पूर्व के बच्चे मन की करें 😊
खेले-कूदें और इसी तरह सीखें

उसके बाद अंग्रेज़ी में पढ़ना अनिवार्य नहीं
अपनी मातृभाषा या राष्ट्रीय भाषा किसी में भी पढ़ सकते हैं
भाषा की अनिवार्यता तो शायद आगे तक नही है
ये एक आवश्यक व महत्वपूर्ण परिवर्तन है
बच्चे कुछ सीख तो पाएंगे

इस अंग्रेज़ी माध्यम में 60 % बच्चे रटने की विद्या में पारंगत होते जा रहे हैं 
वो न अंग्रेज़ी के ,न ही अपनी मात्र भाषा के 
बस पढ़ो और रटो ,समझने से तो मानो नाता ही नही रह गया बच्चों के एक बड़े वर्ग का 😕

कक्षा 6 से प्रतिभा विकास पर बल होगा और यहीं से व्यवसायिक शिक्षा भी आरम्भ
बहुत सराहनीय 👏👏

9 से 12 तक हर छह माह पर परीक्षा के प्रावधान का सुझाव है
 जो मुझे लगता है अत्यंत सराहनीय 

नही तो हमने कक्षा 9,10 के पूरे पाठ्य क्रम की परीक्षा कक्षा 10 के बोर्ड में
और 11 व 12 के पूरे पाठ्यक्रम की परीक्षा कक्षा 12 के बोर्ड में दी थी जो एक कठिन कार्य था
लेकिन फिर भी छात्र डट कर सामना करते 60 % आना तो मानो पहाड़ तोड़ लाये
70-80% तक पहुंचते थे हमारे सहपाठी भी😊

12 के बाद विश्वविद्यालय और कॉलेज की कटऑफ का खतरा भी समाप्त
कॉमन टेस्ट होगा और हर मेहनती बच्चा हर कॉलेज का अधिकारी हो सकता है
कई बार 12 में अच्छा परिणाम नही होता तो निराशा हाथ लगती है तो निराश होने की आवश्यकता नहीं

12 के बाद  स्नातक में सब तो नहीं लेकिन जीवन की कठिन लड़ाई लड़ रहे छात्र कई बार अर्थाभाव या किसी और परिस्थिति के चलते पढ़ाई छोड़ देते हैं 

स्नातक का 1 वर्ष किया या 2 वर्ष पढ़े और छोड़ देने पर उनकी ये पढ़ाई भी बेकार हो जाती है 
नई शिक्षा नीति ने प्रमाणपत्र, डिप्लोमा या डिग्री का प्रावधान रखा
बहुत ही अच्छा निर्णय

और भी कई निर्णय विचाराधीन हैं 
मैं जो समझी और मुझे अच्छा लगा तो साझा कर रही हूँ

इतिहास सम्बन्धी परिवर्तन पर अवश्य ध्यान देना निशंक जी , हमारे ऐतिहासिक तथ्य कुछ चोरों ने चुरा लिए
वो भी पढ़ने को मिल गए तो जीवन सफल लगेगा 😀😀



शिक्षा देश का आधार है और छात्र भविष्य
भविष्य ,आधार को दृढ़ बनाएं इसके लिए उचित समय पर उचित निर्णय अति आवश्यक
नई शिक्षा का हार्दिक स्वागत

#शिक्षामंत्रालय
#शिक्षानीति2020
#भारत

Monday 6 July 2020

किसान की मुस्कान

नन्ही -नन्ही बूंदों ने जब अपना राग सुनाया 
व्याकुल किसान की व्याकुलता को ,हुलसाया -हर्षाया !

हल--बैलों की जुगल बंदी संग, धरती ने ली तान
झम -झमा झम , झम--झम ,झम--झम बरखा गाये गान !

हल चलाते कृषक अधरों पर ,खेल रही मुस्कान 
भूल गया वो ताप , पसीना , सूरज का अभिमान !

लहलहाती फसल करेगी जब ,अभिनन्दन ,सम्मान 
बीज -धरा का मिलन रखेगा ,परिश्रमी किसान का मान .

Thursday 4 June 2020

हाँ ऐसी ही थीं माँ

---हाँ ऐसी ही थी ' माँ '...

. बात करें ४0से ५0 के दशक की तो बात कुछ ओर थी ...

उन दिनों पुरुष और महिलाओं के लिए अलग घरों में भी सीमाएं थी 

लडकियां दुपट्टा सर पर अवश्य रखती थी ...स्कूल गयीं ओर फिर घर ...पास -पडौस के सामाजिक कार्यों में अवश्य शामिल होती ......


कीर्तन , गीत -संगीत ....इसके अलावा अनावश्यक घूमना तो बेहद बुरा समझा जाता .........सबके लिए एक लक्ष्मण रेखा थी और सबको पालन करना होता था ....अनिच्छा का भी कोई प्रश्न नहीं था .......समय ही ऐसा था ...सब इच्छा से ही होता था .........

कहानी है एक लड़की की .......' माँ 'की ...!!!!!!!

आठ भाई -बहनों का भरा--पूरा खुशहाल एवं संपन्न परिवार ........तीन भाई और एक बहन से छोटी पांचवें  नंबर की संतान  बेहद  खूबसूरत , तीखा नाक -नक्श , गोरा रंग ....प्रतिभा शाली .!!!...........कंठ में सरस्वती का वास ...........वाद्य यन्त्र ..जैसे  हारमोनियम , तबला , ढोलक में पारंगत ...नृत्य के क्या कहने ..........

पाक कला में भी निपुण ....

ये कोई अतिश्योक्ति नहीं ......सत्य वचन .

ईश्वर ने सब दिया था पढने का भी बड़ा शौक था ......बड़ी बहन की शादी के बाद माता की सेहत ठीक ना रहने के कारण.पढ़ाई रोक दी गयी थी उस समय ये कोई नई बात नहीं थी , बड़ा आम था सब कुछ........

घर पर ही रह कर पढने कहा गया ..........

मन तो नहीं था लेकिन विरोध नहीं कर सकती थी,वो समय ही और था .........

कक्षा आठ तक घर पर रह  कर पढ़ाई की लेकिन जूनून ऐसा था .

.भाई -बहन सबकी किताबों का एक -एक अक्षर चट कर जाती, चाहे कोई भी विषय हो .....

फिर समय बीता .....

कुछ समय बाद एक सरकारी अफसर के साथ शादी हुई जो स्वयं पुस्तकों के शौक़ीन थे .........

ईश्वर का शुक्रिया किया कि चलो साथ मिला तो एक 

बुद्धिजीवी का !!......इसी पढने के शौक ने ज्ञान भी बढाया .......

नयी जानकारी दी ....


अपनी संतानों को भी यही सब विरासत में दिया .......जिस बात के लिए बच्चे बहस करते या परेशान होते उसे बड़ी ही सहजता से बता देती किसी शब्द का अर्थ हो या किसी व्यक्ति विशेष की जानकारी लेनी हो उनके लिए बाएं हाथ का काम था .........

कक्षा दस भी पास नहीं कर पायीं थी लेकिन पढने की ललक ने ज्ञान अर्जित कर ही लिया था ........

अच्छा साहित्य ,अच्छी पुस्तक यही साथी बने रहे .....और ..बच्चों के दोस्त आश्चर्य व्यक्त करते .....

.'तेरी मम्मी ने बताया अच्छा' ...!!!!....

बनाव-श्रंगार से भी कोई लगाव नही था बेहद साधारण और सौम्य थीं वो 

कोई  भी अवसर  होता  तो  सिर्फ  अपनी सिल्क  की क्रीम    कलर   की साडी  और हार  पहन  लेती ......अब  उस छवि  का क्या  वर्णन  करूँ  में ....

एक दम नैसर्गिक  सौन्दर्य था उनका ........

आथित्य के तो कहने क्या ....कई बार किसी के अचानक आ जाने से जब हम बहने  असहज हो  जाती  तब वो  बड़ी  ही  कुशलता  से घर  में   ही   कई सामान जुटा नाश्ता  और  खाने  का  शाही  सरंजाम  कर  देती  

हमेशा  घर  के बने  नाश्ते  को प्राथमिकता देती  थी 

कभी नाश्ता बाहर से नही आया 

कोई द्वार से कभी भूखा नहीं गया ....

.

पंछी ,..गाय, ..कुत्ते ....सबके लिए उनके यहाँ दाना -पानी था ......तीज -त्योहार , सप्ताह के सातों दिन उनका सीधा ( पूजा का सामान ) निकलता ........

कुष्ठ आश्रम के लोग एक निश्चित समय पर आते और जो बन पड़ता ले जाते

...........पडौस में किसी की कोई आवश्यकता अगर वो पूरी कर सकती तो अवश्य करती .....

वो तो बस निस्वार्थ सहायता करती .....किसी भी सीमा तक जा कर ...जो कई बार हम बच्चे पसंद नहीं करते था और उन्हें रोकने का प्रयास करते 

लेकिन वो कभी झुंझला कर और  कभी चुप रह कर अपने मन की कर ही लेती थी 

.पिता पूरा सहयोग देते कई बार हम बच्चों को मना करते ...कहते मत रोको ....करने दो .....

.दान -पुण्य भी हद से ज़्यादा होने पर पिता का यही कहना था  .....

आस्था किसी तर्क का विषय नहीं है ...

और वे हमें शांत करा देते

कई बार ऐसे अवसर आये निराशा ने आ घेरा ...लेकिन हर बार दुगने उत्साह से सामना किया 

कई बार समाज से टकराने की नौबत भी आई तो भी साहस से सामना किया .....

शायद कई बार टूटी भी !! लेकिन किसी को एहसास तक न होने दिया ...........

.....जिंदगी ने परीक्षा  कदम -कदम पर ली .....लेकिन वो जीवट महिला आगे बढती रही हर समस्या को झेलती रही ...........पति भी  साथ छोड़ गए लेकिन उसने अपने दायित्व बखूबी निर्वाह किये 

सभी दायित्व पूर्ण कर जब वो एकाकी रह गयीं तो हम बच्चों ने सोचा अब वो कुछ चैन से जी सकेंगी 

अपने मन की कर पाएंगी .लेकिन पता नहीं क्यों ..???.

जिंदगी भर जिंदगी से लोहा लेने वाली ये साहसी महिला एकांत नहीं झेल पायीं ....और एक दिन बिना मन की बात कहे इस संसार से चल निकली 

बच्चे जब तक पहुँचते  वो कोमा में जा चुकी थी .

तीन दिन तक अस्पताल में रह कर अंतिम विदा ली

 लोगो ने कहा  पुण्य आत्मा

सच में वो  पुण्य आत्मा थी 

आज वो इस दिन अपनी अनंत  यात्रा पर निकल पड़ी थी 

उस एकांत पीडिता महिला की अंतिम यात्रा में मानो आधा शहर उमड़ पड़ा था 

लोगो का सैलाब नज़र आ रहा था ...

आज हम बच्चे भी समझ रहे थे जिन बातों के लिए वो अक्सर उन्हें मना करते थे ...उसी का प्रतिफल था ये 

.ये उनकी जिंदगी भर की पूँजी थी ...

..जाना ही था उन्हें ,आज नहीं तो कल ........

लेकिन दिल आज भी कचोटता है .........

काश!! हम समय पर पहुँच जाते .!

.क्या था उनके मन में जान पाते ...

याद उसे किया जाता है जिसे भूले हों ......

वो तो आज भी हैं हमारे मन में ..

सदैव रहेंगी 🙏🙏🙏🙏........



बहिष्कृत चीन

चीन का बहिष्कार होना ही चाहिए औऱ हर राष्ट्रवादी को
अपने हिस्से की आहुति देनी पड़ेगी ये आवश्यक है !!
यहाँ विचारणीय ये है कि आज जो नारा बुलंद हुआ ,
हमारा पहला कदम है बहिष्कार की ओर 
और अब यही सही दिशा है
लेकिन बहिष्कार बोलते ही चीन भारत से भाग जाएगा
ये कुछ असम्भव सा है
कुछ अति उत्साहित देश प्रेमी भाई यही समझते हैं कि आज बोला तो चीन का नाम मिट जाएगा
ऐसा होगा पर तुरन्त नही हो सकता भाई ,
यदि इस दिशा में अग्रसर रहे तो अगले कुछ सालों में हम सफल हो जाएंगे
देश में गहरी जड़ें जमा चुका चीन उखड़ने और जाने में भी कुछ समय लेगा
हाँ अब इसका खाद-पानी बन्द होना चाहिए
जैसे अंग्रेजों को भगाने का सोचा तो समय लगा ,पर भगा ही दिया
देश व्यापी सफाई अभियान चला तो लोगों ने इस दिशा में सोचना आरम्भ किया और सफलता भी मिली
बस यही करना है हमें 
छोटे-छोटे कदम आज ही उठाने होंगे
सामान, झालर, और भी कई मशीन, app आदि सबसे दूर रहें
लेकिन अगर फोन जैसी चीज आपके पास है तो आप तुरंत उसे फेंक नही सकते पर आगे नही खरीद ने का प्रण ले सकते हैं
हाँ न ये देशद्रोह है ,न ही चीन समर्थन
एक सच है जिससे बहुत से लोग दो-चार हो रहे हैं
अब हमने ठान लिया है तो इस दुष्ट राखोस को भगा कर ही चैन से बैठेंगे

,
#बहिष्कार_चीन
#कोरोना_पीड़ित_विश्व

Friday 15 May 2020

श्रमिक पलायन

कोरोना काल में श्रमिक पलायन !!
इस वैश्विक संकट से भारत की एक
बहुत गम्भीर समस्या है  
लाखों लोग घर पहुंचने की चाह में सड़कों पर हैं ।
 सर पर सामान, मन में आजीविका का तनाव और कंधों पर नौनिहाल ,भूख - प्यास से बेहाल पग-पग  गन्तव्य की ओर बढते दृश्य बड़े ही हृदय विदारक हैं
आधार हैं ये हमारे देश का 
कहीं थोड़ा बहुत गलती भी है 
 बावजूद इसके विचारणीय ये है कि पहला लॉकडाउन घोषित होते ही ये श्रमिक सड़कों पर कैसे आ गए ? 
 रात 8 बजे घोषणा हुई और 12 बजे कैसे खाने के लाले पड़ गए ?
लगा कुछ सरकार तो उन्हें वापस भेजने पर तुल गयीं कि भेजों इन्हें वापस 
औपचारिक घोषणा कर उन्हें भेजा गया
क्या राज्य सरकार का कोई दायित्व नही बनता ?
क्या उन्हें विश्वास में नही ले सकते थे कि आप लोग ठहरिए 
विश्वास बनाते तो वो रुक सकते थे
कहा जाता मत जाइए , आपके खाने पीने की व्यवस्था होगी 
फिर भी लोगों को घर जाना था, इस आपदा में उन्हें जन्मभूमि की याद सता रही हो , तो राज्य सरकार उन्हें अपने स्तर पर भी भेज सकती थीं
वैसे अगर राज्य सरकारों की ओर से उनके खाने रहने का कोई प्रबंध हो जाता तो पलायन इतनी मात्रा में न होता

सच तो ये है यहां राज्य व्यवस्था और प्रशासन फेल हो गया
अब जब कि राजिस्ट्रेश की व्यवस्था है तो क्यों नही हो पा रहे रजिस्ट्रेशन
और अगर नही हो पा रहे तो सहायता कौन करेगा ?
जिनके रजिस्ट्रेशन ऑन लाइन नही हो पाए उनके नाम पते लिख कर भेजा जा सकता था
क्यों नही प्रशासन आगे बढ़ सहायता करता
किसका दायित्व बनता है भई कि धरातल पर सहायक बने
जहां कुछ राज्य अच्छा सहयोग कर रहे हैं तो
कुछ राज्य तो चाहते ही नही कि इन भाइयों की घर वापसी हो
हाँ राजनीति खूब जम कर हो रही है 
राज्य और प्रशासन अपनी-अपनी जिम्मेदारियों से बच नही सकते
अपना घर सम्भालने की पहली ज़िम्मेदारी उन्ही की है

बात ये है कि इतने सालों में तंत्र सड़ चुका है 
6 साल की बदली सरकार के साथ प्रशासन की कर्तव्यनिष्ठा या सोच कितने प्रतिशत बदली कह नही सकते
जो अपना कर्तव्य पूरा कर भी रहे हैं तो उनकी स्थिति घुन के समान है
 
अब बात करें कैमरे और माइक लिए पत्रकार भाइयों की , दो-चार को छोड़ दें  तो अधिकतर कोई सहायता नही करते , कोइ मार्ग दर्शन नही करते
बस क्यों, कैसे , कहाँ , कब ??
 उनका हिस्सा इतना ही है
उन्हें भी बस चैनल चलाना है

ये सामूहिक कर्तव्य है 
केंद्र को सख्ती से निपटना चाहिए ऐसी राज्य सरकारों से
कुछ  लोगों का कार्य सराहनीय है जो आगे बढ़े हैं उनका दुख-दर्द बांटने को
कल इंदौर की बहुत अच्छी तस्वीर देखीं लोग बाईपास पर सेवा में जुटे थे

क्या हर जगह ऐसा नही हो सकता कि इनके खाने पीने का कोई प्रबंध हाईवेज़ पर हो सके ?

दूसरे कम से कम इन्हें अब रोका न जाये , निकल गए हैं तो निकल जाने दिया जाए

दृश्य बेहद हिला देने वाले हैं 
निकल पड़े हैं लेकिन अपने गृह राज्य में घुस भी पाएंगे
इसमें भी सन्देह है

ये काल एक दिन अतीत बन जायेगा लेकिन बहुत से लोगों को दर्द दे जाएगा जो शायद समय समय पर टीसता भी रहेगा
 कुछ न कर सकने की पीड़ा के साथ उनके दर्द में सहभागी हूँ
ईश्वर उन्हें हिम्मत दे और उन्हें मजबूत बनाएं
सद्बुद्धि उन्हें देना जो आज भी राजनीति में लिप्त हैं

🙏🙏🙏🙏

Sunday 10 May 2020

हाँ ऐसी ही थीं माँ

---हाँ ऐसी ही थी 'माँ '...
बात करें ४0से ५0 के दशक की तो बात कुछ ओर थी 
उन दिनों पुरुष और महिलाओं के लिए घरों में भी अलग सीमाएं थी 
लडकियां दुपट्टा सर पर अवश्य रखती थी ...
स्कूल, घर या पास-पडौस के सामाजिक कार्यों में सम्मिलित होना, यही होता था, अनावश्यक घूमना बेहद बुरा समंझा जाता था 


कीर्तन,गीत-संगीत यही एक दुनिया थी
सबके लिए एक लक्ष्मण रेखा थी और सबको पालन करना होता था 
अनिच्छा का भी कोई प्रश्न नहीं था ......
समय ही ऐसा था,सब इच्छा से ही होता था
कहानी है एक लड़की की 
'माँ' की ...!!!!!!!
आठ भाई -बहनों का भरा--पूरा खुशहाल एवं संपन्न परिवार 
तीन भाई और एक बहन से छोटी पांचवें  नंबर की संतान  बेहद  खूबसूरत , तीखा नाक -नक्श , गोरा रंग ,प्रतिभा शाली .!!
कंठ में सरस्वती का वास ..........
वाद्य यन्त्र ..जैसे  हारमोनियम , तबला , ढोलक में पारंगत ,नृत्य के क्या कहने ..........
पाक कला में भी निपुण ....
ये कोई अतिश्योक्ति नहीं 
सत्य वचन .
ईश्वर ने सब दिया था ,पढने का भी बड़ा शौक था ...
बड़ी बहन की शादी के बाद माता की सेहत ठीक ना रहने के कारण.पढ़ाई रोक दी गयी थी उस समय ये कोई नई बात नहीं थी , बड़ा आम था सब कुछ
घर पर ही रह कर पढने कहा गया 
मन तो नहीं था लेकिन विरोध नहीं कर सकती थी
वो समय ही और था 
कक्षा आठ तक घर पर रह  कर पढ़ाई की लेकिन जूनून ऐसा था .
भाई -बहन सबकी किताबों का एक -एक अक्षर चट कर जाती, चाहे कोई भी विषय हो 
फिर समय बीता 
कुछ समय बाद एक सरकारी अफसर के साथ शादी हुई जो स्वयं पुस्तकों के शौक़ीन थे 
ईश्वर का शुक्रिया किया कि चलो साथ मिला तो एक 
बुद्धिजीवी का !!
नायब तहसीलदार के पद पर आसीन मेरे पिता पुस्तक प्रेमी थे , नियमित साप्ताहिक और मासिक पुस्तकें, पत्रिकाएं घर की शोभा बनते थे
इसी पढने के शौक ने ज्ञान भी बढाया .......
नयी-नई जानकारी दी ....


अपनी संतानों को भी यही सब विरासत में दिया 
जिस बात के लिए बच्चे बहस करते या परेशान होते उसे बड़ी ही सहजता से बता देती किसी शब्द का अर्थ हो या किसी व्यक्ति विशेष की जानकारी लेनी हो उनके लिए बाएं हाथ का काम था 
कक्षा दस भी पास नहीं कर पायीं थी लेकिन पढने की ललक ने ज्ञान अर्जित कर ही लिया था 
अच्छा साहित्य ,अच्छी पुस्तक यही साथी बने रहे .
और बच्चों के दोस्त आश्चर्य व्यक्त करते .....
'तेरी मम्मी ने बताया  ??? अच्छा' 🤔🤔.!!!!....
बनाव-श्रंगार से भी कोई लगाव नही था बेहद साधारण और सौम्य थीं वो 
कोई  भी अवसर  होता  तो  सिर्फ  अपनी सिल्क  की क्रीम कलर  की साडी  और हार  पहन  लेती अब  उस छवि  का क्या  वर्णन  करूँ  में 
एक दम नैसर्गिक  सौन्दर्य था उनका 
आतिथ्य के तो कहने क्या 
कई बार किसी के अचानक आ जाने से जब हम बहने असहज हो  जाती  तब वो  बड़ी  ही  कुशलता  से घर  में  ही कई सामान जुटा नाश्ता  और  खाने  का  शाही  सरंजाम  कर  देती  
हमेशा  घर  के बने  नाश्ते  को प्राथमिकता देती  थी 
कभी नाश्ता बाहर से नही आया 
और कोई द्वार से कभी भूखा नहीं गया ....

.
पंछी ,गाय,कुत्ते सबके लिए उनके यहाँ दाना-पानी था तीज -त्योहार , सप्ताह के सातों दिन उनका सीधा 
( पूजा का सामान ) निकलता 
कुष्ठ आश्रम के लोग एक निश्चित समय पर आते और जो बन पड़ता ले जाते
पडौस में किसी की कोई आवश्यकता अगर वो पूरी कर सकती तो अवश्य करती 
वो तो बस निस्वार्थ सहायता करती 
किसी भी सीमा तक जा कर 
जो कई बार हम बच्चे पसंद नहीं करते थे और उन्हें रोकने का प्रयास करते ,टकराव भी हो जाता था
लेकिन वो कभी झुंझला कर और  कभी चुप रह कर अपने मन की कर ही लेती थी 
पिता पूरा सहयोग देते कई बार हम बच्चों को मना करते कहते मत रोको 
करने दो 
दान-पुण्य भी हद से ज़्यादा होने पर पिता का यही कहना था  
आस्था किसी तर्क का विषय नहीं है 
और वे हमें शांत करा देते
कई बार ऐसे अवसर आये निराशा ने आ घेरा 
लेकिन हर बार दुगने उत्साह से सामना किया 
कई बार समाज से टकराने की नौबत भी आई तो भी साहस से सामना किया .....
शायद कई बार टूटी भी !! 
लेकिन किसी को आभास तक न होने दिया 
जिंदगी ने परीक्षा  कदम-कदम पर ली 
लेकिन वो जीवट महिला आगे बढती रही हर समस्या को झेलती रही 
पति भी  साथ छोड़ गए लेकिन उन्होंने अपने दायित्व बखूबी निर्वाह किये 
सभी दायित्व पूर्ण कर जब वो एकाकी रह गयीं तो हम बच्चों ने सोचा अब वो कुछ चैन से जी सकेंगी 
अपने मन की कर पाएंगी ,लेकिन पता नहीं क्यों ..???.
जिंदगी भर जिंदगी से लोहा लेने वाली ये साहसी महिला एकांत नहीं झेल पायीं 
और एक दिन बिना अपने मन की बात कहे वो अपनी अनंत यात्रा पर निकल पड़ीं
उन्हें आभास था कि उनकी महायात्रा सावन माह में ही सम्भव है तो पूरे साल कहीं भी रहें वो सावन में अपने घर ही रहती थीं
आज श्रावण की त्रयोदशी थी , भोले का जलाभिषेक कर कृपापात्र बनने का दिन
ऐसे किसी भी अवसर पर उनकी आस्था चरम पर होती थी
लेकिन आज वो अपनी अंनत यात्रा पर निकल चुकी थीं
बच्चे जब तक पहुँचते  वो कोमा में जा चुकी थी .
तीन दिन तक अस्पताल में रह कर अंतिम विदा ली
 लोगो ने कहा  पुण्य आत्मा
सच में वो  पुण्य आत्मा थी 
उस एकांत पीडिता महिला की अंतिम यात्रा में मानो आधा शहर उमड़ पड़ा था 
दूर-दूर तक जनसमूह नज़र आ रहा था 
आज हम बच्चे भी समझ रहे थे जिन बातों के लिए वो अक्सर उन्हें मना करते थे 
उसी का प्रतिफल था ये 
ये उनकी जिंदगी भर की पूँजी थी 
जाना ही था उन्हें ,आज नहीं तो कल 
लेकिन दिल आज भी कचोटता है 
काश!! हम समय पर पहुँच जाते ☹️☹️
क्या था उनके मन में जान पाते 
याद उसे किया जाता है जिसे भूले हों 
वो तो आज भी हैं हमारे मन में 
सदैव रहेंगी 🙏🙏🙏🙏........



Saturday 2 May 2020

हमारी संस्कृति, हमारी विरासत

देश के सांस्कृतिक विकास का सीधा सम्बन्ध राष्ट्रवादी विचारधारा और शिक्षा से है 👍
इस लिए 

 देश की शिक्षा प्रणाली में बड़े परिवर्तन की आवश्यकता है , यही आधार है किसी भी देश को विकासित करने का और उसकी सांस्कृतिक विचारधारा को बचाये रखने का तो पहल करनी होगी
सँस्कृत को भी अन्य भाषाओं के साथ अनिवार्य भाषा बनाया जाए 
भूले-बिसरे स्वतंत्रता सेनानियों के पराक्रम को जानना विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है
बच्चों को भारत के सही इतिहास से अवगत कराना आवश्यक
बच्चे हमारे ऋषि-मुनियों को जानें और उनकी योग्यता को पहचाने
वो महाराणा प्रताप की महानता जाने 
उन्हें पोरस की जानकारी हो , सिकन्दर महान क्यों ?
देश में एक से एक आश्चर्य जनक स्थान हैं, 
ऐतिहासिक बेजोड़ मंदिर है, दुर्लभ रामसेतु की निर्माण गाथा है
हमारे शिल्पकारों ने चट्टानों को चीर अनगिनत छाप छोड़ी हैं 
विलुप्त होती अनेक विरासत हैं ,जिन्हें शिक्षा के माध्यम से    आगे तो बढ़ा ही सकते हैं
इस लिए सरकार को पाठ्य पुस्तकों में झाँकना होगा
हर पन्ने पर उचित शब्दावली सुनिश्चित करनी होगी

यही हर राष्ट्रवादी की इच्छा है

#जय_श्री_राम
#भारतीय_संस्कृति
#भारत_का_विकास
#शिक्षा_प्रणाली

Wednesday 29 April 2020

महामारी 2020

अभी रोहित सरदाना के आंकड़े सुन रही थी कि लॉकडाउन बढ़ेगा या खुलेगा ?
 सुन कर लगा सरकार ने बढाया भी तो ज़्यादा से ज़्यादा 15 दिन या एक माह लेकिन इतने दिन में भी कोरोना तो जाएगा नही 
बाहर तो निकलेंगे ही, कब तक बैठे रहेंगे
अब ये हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन जायेगा
मास्क, ग्लव्स ,सेनेटाइजर या हाथ धोने की कोई भी व्यवस्था, सामाजिक दूरियां सब को अपनाना होगा
बहुत समय के लिए ये जिंदगी का हिस्सा बन गया है
पुराने समय में अनेक  लाइलाज बीमारी आयी, महामारी बनी और गहरा असर छोड़ चली गईं 
हम अभ्यस्त हो गए, फिर उनका इलाज भी मिला
अब ये भी अनेक बीमारियों के बीच नया अदृश्य अनचाहा मेहमान है , जो गले पड़ गया है लेकिन हमें इससे
 बच कर रहना है
इसके साइड इफेक्ट्स भी मुंह बाए बड़ी समस्या बन सामने खड़े हैं , उनसे भी निपटना है , वो भी बड़ी चुनौती है
कुल मिला कर विश्व भर के जीवन मूल्यों को बदलने वाले अदृश्य हमलावर का सामना करने के लिए मानसिकता मजबूत करनी होगी
जब भी बाहर निकलेंगे सावधानी से 
हमलावर अदृश्य है , खतरनाक है
ईश्वर को मानते हैं तो उन पर विश्वास बनाये रखना होगा
परिणाम अच्छा हो , सुखद हो 
इसी आशा के साथ  🙏🙏❤️❤️

#कोरोना_को_हराना_है
#लॉकडाउन

Thursday 16 April 2020

स्वादिष्ट व्यंजन

हमारी माता श्री भी सदैव घर के बनाये #व्यंजन से अतिथि स्वागत करतीं थीं
घर से कुछ साधन जुटा बढ़िया चटनी भी तैयार कर देतीं थीं 
मीठा हो या नमकीन बनता घर पर ही था
एक तो उन्हें लगता ये संतुष्टि देता है 
समय भी होता था
दूसरा कारण ये भी था कि बाहर मिठाई आदि के अलावा बहुत कुछ मिलता भी नही था

महत्वपूर्ण ये कि पहले घर पर किसी के आ जाने पर घर के बने व्यंजन ही परोसे जाते थे
पकौड़ी, हलुआ,मठरी, साखें ,दही बड़े कुछ भी बनाओ और खिलाओ #अतिथि को

समय के साथ साथ परिवर्तन आते चले गए
घर पर बनने वाले पदार्थ भी आधुनिक हो गए और
व्यस्तता के चलते बाहर की वस्तुओं पर निर्भरता बढ़ती चली गयी
आज इस वैश्विक संकट कोरोना ने जीवन बदल कर रख दिया है
आज-कल फेसबुक, वाट्सएप पर तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजनों की बहार है 
खाने के अलावा 'वाने' ने तो वातावरण सुगन्धित कर दिया है😊
सभी सपरिवार उन्ही खाद्य पदार्थों का आनंद उठा रहे है जिनके चटकारे शाम को ठेले पर कोई मित्र मंडली के साथ ,तो कोई परिवार के साथ लेता था

लोग पाक कला को निखार रहे हैं
समय बहुत कुछ सिखा रहा है, वास्तव में समय से बड़ा कोई शिक्षक नही
कोरोना को तो जाना है और चला ही जायेगा 
परन्तु एक सकारात्मक परिवर्तन लोगो के जीवन में, उनकी सोच में अवश्य आ जायेगा
जो समय की मांग भी है
ईश्वर इस संकट को शीघ्र टालो 🙏🙏
कुछ सुगन्धित स्वादिष्ट चित्र 🙏

Thursday 26 March 2020

जय महाकाल 🙏🙏

🙏🙏🙏🙏🙏🙏
१--ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
🙏🙏  🔔 ⛳ 🎪 🔱
२--ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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३--ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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४--ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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५--ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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६-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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७--ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
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मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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८--ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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९--ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
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१०-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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११-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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१२-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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१३-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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१४-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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१५-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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१६-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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१७-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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१८-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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१९-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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२०-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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२१-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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२२-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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२३-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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२४-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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२५-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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२६-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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२७-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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२८-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
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२९-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
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३०-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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३१-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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३२-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
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३३-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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३४-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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३५-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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३६-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
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३७-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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३८-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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३९-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
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४०-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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४१-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
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४२-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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४३-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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४४-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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४५-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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४६-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
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४७-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
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४८-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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४९-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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५०-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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५१-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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५२-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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५३-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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५४-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
 🙏🙏🙏🙏
महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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५५-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
 🙏🙏🙏🙏
महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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५६-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
 🙏🙏🙏🙏
महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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५७-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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५८-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
 🙏🙏🙏🙏
महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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५९-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
 🙏🙏🙏🙏
महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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६०-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
 🙏🙏🙏🙏
महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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६१-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
 🙏🙏🙏🙏
महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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६२-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
 🙏🙏🙏🙏
महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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६३-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
 🙏🙏🙏🙏
महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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६४-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
 🙏🙏🙏🙏
महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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६५-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
 🙏🙏🙏🙏
महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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६६-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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६७-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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६८-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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६९-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
 🙏🙏🙏🙏
महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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७०-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
 🙏🙏🙏🙏
महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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७१-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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७२-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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७३-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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७४-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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७५-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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७६-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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७७-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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७८-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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७९-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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८०-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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८१-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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८२-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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८३-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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८४-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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८५-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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८६-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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८७-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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८८-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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८९-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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९०-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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९१-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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९२-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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९३-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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९४-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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९५-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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९६-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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९७-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
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९८-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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९९-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
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मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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१००-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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१०१-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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१०२-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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१०३-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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१०४-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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१०५-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
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मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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१०६-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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१०७-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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महाकाल सबकी रक्षा करेगें ।
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१०८-ऊँ त्र्यँम्बकम् यजामहे 
सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् ।
ऊर्वा रुकमिव बन्धनान् 
मृत्योर्मुक्षी  यमामृतात् ।
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Wednesday 25 March 2020

विराजो प्रभु अयोध्या धाम

जय श्री राम। 
आप सबको बधाई हो 👏👏
आज नवसंवत्सर 2077 में  #अयोध्या भी स्वर्णिम इतिहास लिखने की ओर अग्रसर है
प्राथमिक चरण प्रारम्भ हो चुका है
वर्षों बाद समय आया भी तो भक्त लाचार हैं सिर्फ सुनने और दूरदर्शन के लिए
जैसी प्रभु इच्छा 🙏🙏 परंतु
रामलला और राम भक्तों के लिए भावुक प्रतीक्षित समय है
रामलला को योगी जी ने अपने नए अस्थायी मंदिर मे स्थापित किया
27 साल 3 माह 20 दिन बाद टेंट से मंदिर पहुंचे रामलला।
बुधवार को ब्रह्म मूहूर्त में करीब 4 बजे श्रीराम जन्मभूमि परिसर में स्थित गर्भगृह में रामलला को स्नान और पूजा-अर्चना के बाद अस्थायी मंदिर में स्थापित दिया गया। 
 के नए मंदिर में रामलला को विराजमान करने के लिए अयोध्या के राजघराने की तरफ से चांदी का सिंहासन भेंट किया गया है। साढ़े नौ किलो का यह सिंहासन जयपुर से बनवाया गया है।
जिस आकर्षक सिंहासन पर श्रीरामलला विराजमान हुए हैं, उसके पिछले हिस्से पर सूर्य देव की आकृति और दो मोर बने हैं। अब तक मूल गर्भगृह के अस्थायी मंडप में रामलला लकड़ी के सिंहासन पर विराजमान थे। 
अयोध्या राजघराने के राजा विमलेंद्र मोहन मिश्र स्वयं यह सिंहासन लेकर अयोध्या से आए थे।

मंत्रोच्चार के साथ रामलला को उनके तीनों भाइयों और सालिगराम के विग्रह के साथ अस्थायी नए आसन पर स्थापित किया गया। नए मंदिर में मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने रामलला की आरती की।
इससे पहले नए मंदिर के शुद्धिकरण अनुष्ठान के लिए दिल्ली, काशी, मथुरा व प्रयागराज के 24 पंडित आए थे। प्रसिद्ध वैदिक आचार्य डॉक्टर कृति कांत शर्मा ने सोमवार से ही यह अनुष्ठान शुरू कर दिया था।
कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए इस दौरान भीड़ से बचने की कोशिश की गई थी। 
इस क्रियाकलाप के समय योगीजी के ,रामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास, ट्रस्ट के सदस्य राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, सदस्य अनिल मिश्रा, ट्रस्ट के महासचिव चपंत राय, दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेश दास और अवनीश अवस्थी मौजूद रहे।

फाइबर का नया मंदिर 24x17 वर्गफुट आकार के साढे तीन फुट ऊंचे चबूतरे पर स्थापित है। इसके शिखर की उंचाई 25 फुट है। 
इसके चारों तरफ सुरक्षा हेतु मजबूत जालीदार कवच बना है। 
श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए तीन हिस्से पर करने होंगे जिसकी लंबाई मात्र 48 मीटर की होगी। 
 पूरे रास्ते में एलईडी बल्ब जगमग रहेंगे
फाइबर मंदिर की दीवारें मलेशिया की ओक लकड़ी से निर्मित हैं
सभी सनातनी व संघी साथियों को साधुवाद
 मंगल कामनाओं के साथ सबका अभिनन्दन 🙏🙏