Thursday 30 July 2020

शिक्षा नीति 2020

नई शिक्षा नीति 2020 बच्चों और अभिभावकों के लिए राहत लेकर आई है जो सम्भवतः 2021से लागू भी हो जाएगी

3 साल प्राथमिक शिक्षा से पूर्व के बच्चे मन की करें 😊
खेले-कूदें और इसी तरह सीखें

उसके बाद अंग्रेज़ी में पढ़ना अनिवार्य नहीं
अपनी मातृभाषा या राष्ट्रीय भाषा किसी में भी पढ़ सकते हैं
भाषा की अनिवार्यता तो शायद आगे तक नही है
ये एक आवश्यक व महत्वपूर्ण परिवर्तन है
बच्चे कुछ सीख तो पाएंगे

इस अंग्रेज़ी माध्यम में 60 % बच्चे रटने की विद्या में पारंगत होते जा रहे हैं 
वो न अंग्रेज़ी के ,न ही अपनी मात्र भाषा के 
बस पढ़ो और रटो ,समझने से तो मानो नाता ही नही रह गया बच्चों के एक बड़े वर्ग का 😕

कक्षा 6 से प्रतिभा विकास पर बल होगा और यहीं से व्यवसायिक शिक्षा भी आरम्भ
बहुत सराहनीय 👏👏

9 से 12 तक हर छह माह पर परीक्षा के प्रावधान का सुझाव है
 जो मुझे लगता है अत्यंत सराहनीय 

नही तो हमने कक्षा 9,10 के पूरे पाठ्य क्रम की परीक्षा कक्षा 10 के बोर्ड में
और 11 व 12 के पूरे पाठ्यक्रम की परीक्षा कक्षा 12 के बोर्ड में दी थी जो एक कठिन कार्य था
लेकिन फिर भी छात्र डट कर सामना करते 60 % आना तो मानो पहाड़ तोड़ लाये
70-80% तक पहुंचते थे हमारे सहपाठी भी😊

12 के बाद विश्वविद्यालय और कॉलेज की कटऑफ का खतरा भी समाप्त
कॉमन टेस्ट होगा और हर मेहनती बच्चा हर कॉलेज का अधिकारी हो सकता है
कई बार 12 में अच्छा परिणाम नही होता तो निराशा हाथ लगती है तो निराश होने की आवश्यकता नहीं

12 के बाद  स्नातक में सब तो नहीं लेकिन जीवन की कठिन लड़ाई लड़ रहे छात्र कई बार अर्थाभाव या किसी और परिस्थिति के चलते पढ़ाई छोड़ देते हैं 

स्नातक का 1 वर्ष किया या 2 वर्ष पढ़े और छोड़ देने पर उनकी ये पढ़ाई भी बेकार हो जाती है 
नई शिक्षा नीति ने प्रमाणपत्र, डिप्लोमा या डिग्री का प्रावधान रखा
बहुत ही अच्छा निर्णय

और भी कई निर्णय विचाराधीन हैं 
मैं जो समझी और मुझे अच्छा लगा तो साझा कर रही हूँ

इतिहास सम्बन्धी परिवर्तन पर अवश्य ध्यान देना निशंक जी , हमारे ऐतिहासिक तथ्य कुछ चोरों ने चुरा लिए
वो भी पढ़ने को मिल गए तो जीवन सफल लगेगा 😀😀



शिक्षा देश का आधार है और छात्र भविष्य
भविष्य ,आधार को दृढ़ बनाएं इसके लिए उचित समय पर उचित निर्णय अति आवश्यक
नई शिक्षा का हार्दिक स्वागत

#शिक्षामंत्रालय
#शिक्षानीति2020
#भारत

Monday 6 July 2020

किसान की मुस्कान

नन्ही -नन्ही बूंदों ने जब अपना राग सुनाया 
व्याकुल किसान की व्याकुलता को ,हुलसाया -हर्षाया !

हल--बैलों की जुगल बंदी संग, धरती ने ली तान
झम -झमा झम , झम--झम ,झम--झम बरखा गाये गान !

हल चलाते कृषक अधरों पर ,खेल रही मुस्कान 
भूल गया वो ताप , पसीना , सूरज का अभिमान !

लहलहाती फसल करेगी जब ,अभिनन्दन ,सम्मान 
बीज -धरा का मिलन रखेगा ,परिश्रमी किसान का मान .