बरखा रानी बरखा रानी
मत करो अपनी मनमानी
सता चुके हैं सूरज दादा
अब लेकर आजाओ पानी
छुट्टियाँ बीती नानी के घर
पसीना बहा खूब अंजुली भर
मंच सज़ा है आओ तो
आकर मुह दिखलाओ तो
हर आहट पर इंतज़ार है
गर्मी से हुए बेज़ार हैं
आओ अपना कद पहचानो
अपनी एहमियत को जानो
मंतव्य हमारा पूरा करदो
सबके मन खुशियों से भर दो
अभिनन्दन को खड़े तैयार
बरखा रानी आये तो द्वार