Saturday, 2 November 2013

सभी मित्रों को दीपों का त्यौहार शुभ हो ,मंगलमय हो ...........


दीपोत्सव की बेला आई , अंजुली भर खुशियाँ ले आई
आँचल में ले आओ समेट, ईश्वर की ये अमूल्य भेंट

बिखर रहा है पुंज प्रकाश , चहुँ और है हर्ष -उल्लास 
आशा दीप जले हर मन में , उजियारा है घर -आँगन में

चाँद विहीन सूना आकाश , धरा है पुलकित अहा !! प्रकाश
नन्ही नहीं लौ मुस्काई , खुशियाँ समेट जहाँ की लायीं

जगमग हो जीवन हर जन का , तम हर ले मुरझाये मन का
तृप्त मुस्कान हो सब अधरों पर , चाह यही है इस अवसर पर

कर बद्ध प्रणाम गुरुजनो को , आशीष प्यार बाल -वृन्दों को .................

यही तो जिंदगी है

कहीं -------------
टिमटिमाते दीप की लौ की भाँति फडफाड़ाती ,
उदास सूनी आँखों के साथ निराशा की गर्त में डूबकी लगाती

तो कहीं -----------
मुस्कराती , कहकहे लगाती आशा दीप जलाती
कहीं -------------
दिलों में पलते ,आँखों में सजते साकार स्वप्न

कहीं -------------
बिना आवाज़ के टूटते , चूर हुए स्वप्न
हर सुबह एक नयी सोच के साथ शुरू होती है 

हर पल , पग -पग रोज़ नए संघर्ष से दो -चार होती है
लेकिन सब इसे ही पाना चाहते हैं , इसे ही गले लगाते हैं

नहीं ये आसान , बेहद जटिल है ...जटिल , बेहद जटिल है
................हाँ यही तो जिंदगी है ......इसी का नाम जिंदगी है .....
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