Friday 13 March 2020

नमस्ते कोरोना

#नमस्ते 🙏🙏
हमारी वर्षों पुरानी #हिन्दू_संस्कृति हमारी अपनी ही तुच्छता की भेंट चढ़ गई है
इससे से जुड़े हों या नही इसकी सार्थकता से इनकार नही कर सकते
हमारे जीवन यापन का हर तरीका #वैज्ञानिक_पध्दति पर आधारित है
जिसे हमने विदेशी आचरण के मोह- माया के अर्पण कर दिया
हमारे उठने बैठने, खाना बनाने से लेकर खाना खाने के तरीके सभी पर ध्यान दिया जाए तो ,सभी का अपना महत्व है
#नीम और #तुलसाजी के औषधीय गुण कब से हमारे लिए उपयोगी हैं
गाय माता के गोबर, गौ मूत्र , घी के महत्व से कोई सनातनी इनकार नही कर सकता
हमारी मसालों से भरी रसोई  स्वाद के अलावा औषधि का भंडार होती थी
हमारे स्वागत-सत्कार के तरीके में भी  सम्मान और स्नेह की कमी नहीं
ऐसा नही इससे हम एक दिन में दूर हो गए 
आज की पीढ़ी इन्हें जानती तक नही और अपनाने से उसे  
पिछड़ेपन का अनुभव होता है
ऐसा सबके साथ नहीं लेकिन बहुतायत है ऐसे लोगों की
अब इससे जुड़ भी रहे हैं तो विदेशी आवाहन पर 🙁
विश्व जिस समय इसका महत्व समझा दुखद है

क्या आपने कभी विचार किया है कि
प्रत्येक वर्ष रथ यात्रा के ठीक पहले भगवान जगन्नाथ स्वामी बीमार पड़ते हैं
उन्हें बुखार एवं सर्दी हो जाती है 
बीमारी की इस हालत में उन्हें Quarantine किया जाता है
जिसे मंदिर की भाषा में अनासार कहा जाता है
भगवान को 14 दिन तक एकांतवास
 यानी  Isolation में रखा जाता है

आपने ठीक पढ़ा है 14 दिन ही Isolation की इस अवधि में भगवान के दर्शन बंद रहते हैं एवं भगवान को जड़ी-बूटियों का पानी आहार में दिया जाता है 
यानी Liquid Diet और यह परंपरा हजारों साल से चली आ रही है

अब इक्कीसवीं सदी में पश्चिमी लोग हमें पढ़ा रहे हैं कि
Isolation & Quarantine का समय 14 दिन होना चाहिए

वो हमें ऐसा पढ़ा सकते हैं क्योंकि
*हम स्वयं सोचते हैं कि हिंदू धर्म अन्धविश्वास से भरा हुआ अवैज्ञानिक धर्म है*

जो आज हमें पढ़ाया जा रहा है
हमारे पूर्वज हजारों साल पहले से जानते थे
*गर्व करो अपने धर्म पर*
*अपनी सभ्यता पर और अपनी परंपराओं पर*

परन्तु अच्छा है विश्व में सावधानी के चलते 
लोग भारतीय संस्कृति को अपना रहे हैं 
नमस्ते #Covid_19

#कोरोना