Monday 27 January 2014

"ऎ मेरे वतन के लोगों" --स्वर्ण जयंती

देशभक्ति गीत "ऎ मेरे वतन के लोगों" की स्वर्ण जयंती पर आज लता जी भी भावुक हैं ........
उन्होंने ट्विट कर अपनी भावनाए ज़ाहिर की हैं ........
..........27 जनवरी, 1963 को उन्होंने पहली बार गाया था ये गीत .....
...........कविवर 'प्रदीप' के इस एतिहासिक दर्द भरे गीत की प्रासंगिकता भारत ने
एक पल के लिए भी नहीं खोई..........समय-समय पर शहादत होती रही ..........
............लेकिन सिर्फ गीत ही बजता रहा ..........
.........आँख में पानी परिवार के अलावा शायद ही किसी ने भरा हो ............
इस भावुक देश-भक्ति गीत के लिए भारत सदा आभारी रहेगा पूरी टीम का
कविवर प्रदीप जी ,संगीतकार सी रामचंद्रन और मीठी आवाज़ वाली हमारी लता दीदी .........
आपके सामूहिक प्रयास ने भारत के दर्द को संगीत मय बना हर दिल तक पहुंचाया

Saturday 25 January 2014

सिसकता-ठिठुरता राष्ट्र


हमारा सिसकता-ठिठुरता राष्ट्र एक बार फिर से तैयार है 'गणतंत्र दिवस' मनाने के लिए .... ज़र्ज़र आधार शिला को उपेक्षित कर उपरी हिस्सा नये रंग-रोगन और चमक -दमक के साथ गर्व से इतराएगा ...... ........शहीदों को याद कर सम्मान और श्रधांजली एक निर्वाह भर है ..................समय की मांग तो है ही और बहुत आवशयक लगता है कि आज ६४ साल पुराना संविधान संशोधित हो .......
६४ साल के बाद प्राथमिक तीन आवश्यकताएं भी जनता की पूरी नहीं हो पायी हैं ........विकास की परिभाषा बदल चुकी है ..........कल राजपथ पर भारत दुनिया को चका-चौंध कर देगा कोई संदेह नहीं इसमें..............
.....इसके पीछे कितनी सिसकियाँ हैं कितने आंसू छिपे हैं किसी को आवश्यकता नहीं जानने की ......???
लेकिन सब कमियों और सब अवगुणों के बाद भी ये हमारा अपना घर है , हमारा अपना देश है .......और मुझे गर्व है कि में भारतीय हूँ .............
इसे गोरों के चंगुल से मुक्त कराने हेतु असंख्य वीर वीरगति को प्राप्त हुए ............कुछ तो आज तक इतिहास में ही खोये हैं ...लेकिन हम उन्हें दिल से नमन कर सकते हैं ,उन्हें याद कर सकते हैं ............उन सभी वीरों को भारत का कोटि -कोटि नमन ..........जय हिन्द ...............
..................वन्दे मातरम्...............


Friday 24 January 2014

कैसी ये तृष्णा.

आंखों में झिलमिलाते स्वप्न 
..........साकार होते देखने हेतु जिंदगी भर संघर्षरत बढ़ते पग .........
................बढ़ते समय के साथ कुछ टूटते , कुछ साकार स्वप्न .........
...........सफलता और असफलता के बीच झूलते ,पल -पल जीते ................
.........अचानक जब खाली हाथ आया पंछी ,खाली हाथ ही नीड छोड़ उड़ जाता ............
...............छोड़ अपना आधा-अधूरा घर-बार .......बड़े से सा प्रश्न चिन्ह के साथ ..!!!!
...........तब लगता !!! कैसी ये तृष्णा..??...क्या यही है संसार ???

Friday 17 January 2014

......ये भी जिंदगी ---













शीत भयंकर आज पड रहा सोच रही एक अबला 
मेरे नन्हे के तन पर है नाम मात्र का झबला 

नील गगन के साए में वो कथरी में लिपटा है 
गर्मी पाने की चाहत में अपने में सिमटा है 

सजल नेत्र से देखा माँ ने ,बांहों में उठाया 
गोदी में ममता से लेकर ,सीने से लगाया 


भींच लिया माँ ने नन्हे को ,दो आंसू टपकाए
छिपा लिया माँ ने आँचल में ,उष्मा कुछ मिल जाए

बेरहमों की दुनिया में नन्हे ,क्या करने तुम आये
सो गया बेफिक्र हो नन्हा , सीनें में मुँह छिपाए

Monday 13 January 2014

मकर संक्रान्ति का ऐतिहासिक महत्व


माना जाता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। 

चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।
 महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रान्ति का ही चयन किया था। 
मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिल गयी थीं।

शुभ हो

मकर संक्रांति , पोंगल पर्व आप सबके लिए शुभ हो ,मंगल कारी हो ........
जय उत्तरायणी ...............शुभम