१-पंख फैलाए बांह पसार
हिंदी पहुंची जन -जन द्वार
२-अभिव्यक्ति को सरस बनाए
सामर्थ्य की झलक दिखाए .
३-मान राष्ट्र भाषा का पाया
हर मन में स्थान बनाया
४-लम्बी थी ये बहुत लड़ाई
यूँ ही नहीं अस्तित्व में आई
५-माँ समझे ,हर हिंदी भाषी
हिंदी थी इतनी अभिलाषी
६- विश्व में मिल रहा सम्मान
हिंदी भाषी का अभिमान
सभी हिंदी भाषियों को शुभकामनाएं
😊🙏🇮🇳⛳
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (16-09-2020) को "मेम बन गयी देशी सीता" (चर्चा अंक 3826) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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