Wednesday 9 September 2020

कादम्बिनी बनी अतीत

अभी पढ़ा 'कादम्बिनी' और 'नंदन' का प्रकाशन बन्द हो रहा है 
दुखद है !!  दोनो ही स्तरीय पत्रिका रहीं ,लेकिन शायद पाठक नही जुटते होंगे 
पुस्तक प्रेमी हम भी कहाँ पढ़ पाते हैं 
कुछ समयाभाव में , जीवन की आपा-धापी तो धीरे-धीरे रुचि भी कम हो ही जाती है
अंर्तजाल की माया भी है बहुत कुछ
हमारा बचपन चंपक, नंदन,धर्मयुग, कादम्बिनी और NBT के बाल साहित्य के बीच बीता
धर्मयुग से नाता तभी टूटा जब बन्द हो गया
साप्ताहिक, शायद पाक्षिक और आकार भी छोटा हो गया था लेकिन हमने साथ नही छोड़ा
जब धर्मयुग ने मुँह मोड़ा तभी अलग हुए
साहित्य प्रेमी माता-पिता के राज में केवल पुस्तक नहीं ,अच्छे साहित्य से घनिष्टता रही 
विरासत में मिला हमें पुस्तक प्रेम , लेकिन समय - समय की बात ,  कारण बहुत से रहे ,आगे नही बढ़ पाया
पिछले कई वर्ष से नए संस्करण नही पढ़े
जब समय मिलता है , वर्षों पूर्व के संस्करण आज भी अच्छा साथ देते हैं
अगली पीढ़ी में कुछ बच्चे आगे बढ़ा रहे हैं , पता नही कब तक बढ़ेगा
पहले छुट्टियां इन्ही के साथ बीतती थीं 🤗
चर्चा इन्ही पर होती थी, यात्रा के अच्छे साथी थे
सालों पुरानी कुछ कादम्बिनी और कुछ अन्य पुस्तकें आज भी धरोहर के रूप में सुरक्षित हैं 
सम्बन्ध नही था वर्षों से लेकिन ये समाचार पढ़ा तो कुछ टूटता सा लगा 😕
कुछ पुराना समय सामने आ खड़ा हुआ 
ये भी बनने चले अतीत
समय के साथ परिवर्तन को स्वीकारना और स्मृति पोटली दबाए ,आगे बढ़ना ही जीवन है
जय सिया राम 🙏🙏