Friday, 24 February 2012

होली पर मेरा प्रयास


१-शीतल और सुगन्धित चन्दन

मस्तक का करता अभिनन्द

२-चौक चौराहे मचा धमाल

उड़ा अबीर साथ गुलाल

३-पीत परिधान फसल ने पहना

झिलमिला रहा है कृषक पसीना

४-होली के रंग छटा बिखराए

सराबोर तन -मन हो जाए

५-पिचकारी ने मान बढ़ाया

टेसू पानी संग इतराया

5 comments:

  1. बहुत खूब! अभी से होली का सुंदर तंग जमा दिया...

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  2. आपकी होली में [ कविता में ] सचमुच में ऊष्मा और शीतलता का संगम प्रतीत हो रहा ...

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  3. aapki kavita men sheetalta aur rishton kii uushnta prateet ho rahi .......

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  4. आपकी कविता में शीतलता और किसान की मेहनत की उर्जा का परिणाम अच्छा लगा ...

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  5. कैलाश जी और प्रतिभा आपका हार्दिक आभार .......

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