Sunday 21 April 2013

प्रश्न और सुझाव

माँ का दुलार सब पर भारी है
भाई , बहन तुझ पर वारी -वारी है
पत्नी के इंतज़ार में भी बेकरारी है
बेटी की मुस्कराहट कितनी प्यारी है

चार रूप है समक्ष आपके
ईश्वर की उत्कृष्ट रचना
लेकिन समाज में दीन-हीन स्थान लिए
इनके पीछे सिर्फ और  सिर्फ
नारी है ,नारी है और नारी है

ये रक्त के और भावनात्मक रिश्ते
 जुड़े हैं आपके दिल से ,या कोई लाचारी है ?

ज़रा सा ह्रदय में झांके ,संवेदनाएं जगाएं
भावनाओ को मस्तिष्क से ह्रदय में ले आयें
मानसिकता की सीमा बढ़ा कर वैचारिक स्तर पर
स्वस्थ और स्वच्छ समाज हेतु पग बढायें............

6 comments:

  1. बिल्कुल सही कहा ....नारी कुछ भी हो चाहे पर सिर्फ़ देह मात्र ही है और कुछ नही

    ReplyDelete
  2. क्या विडंबना है ...........

    ReplyDelete
  3. jee nari jeevan ki yahi vidambana hai ...

    ReplyDelete
  4. kash esa ho ,nari jivan teri yehi khani anchal me he doodh or ankho me pani ,likha bhi purush ne or ansu dene vala bhi vhi

    ReplyDelete
  5. गीता जी आंसू देता है लेकिन पोंछता नहीं ..........

    ReplyDelete

आपके आगमन पर आपका स्वागत है .................
प्रतीक्षा है आपके अमूल्य विचारों की .
कृपया अपनी प्रतिक्रया अवश्य लिखिए