दीपोत्सव की बेला आई , अंजुली भर खुशियाँ ले आई
आँचल में ले आओ समेट, ईश्वर की ये अमूल्य भेंट
बिखर रहा है पुंज प्रकाश , चहुँ और है हर्ष -उल्लास
आशा दीप जले हर मन में , उजियारा है घर -आँगन में
चाँद विहीन सूना आकाश , धरा है पुलकित अहा !! प्रकाश
नन्ही नहीं लौ मुस्काई , खुशियाँ समेट जहाँ की लायीं
जगमग हो जीवन हर जन का , तम हर ले मुरझाये मन का
तृप्त मुस्कान हो सब अधरों पर , चाह यही है इस अवसर पर
कर बद्ध प्रणाम गुरुजनो को , आशीष प्यार बाल -वृन्दों को .................
दीप के इस त्यौहार पर मनमोहक रचना ...
ReplyDeleteआपको बधाई और शुभकामनायें ...