Monday, 16 December 2013

शायद प्रकाश हो ....

ना कोई जानता था , ना पहचानता था ! 
जिंदगी का सफ़र आरामदायक भी नहीं था |लेकिन रोज़ नया संघर्ष था ....आँखों में सपने थे और उन्हें साकार करने की चाह थी , हिम्मत थी , जिद थी ...........तो कोई बाधा बड़ी नहीं लगती थी .........||
हर पग सफलता की और ही बढ़ रहा था .........साकार हो ही जाते स्वपन कि ............अचानक ऐसा हुआ जो कल्पना से दूर था .......कभी सोचा ना था .........लेकिन हुआ क्यों कि यही होना था शायद ........समय बहुत क्रूर हो गया ......और उसे जाना पडा .......
आज पैसा है ,नाम भी है ,लोग जानते हैं .......बदल गयी है दुनिया .......................लेकिन कितनी बड़ी कीमत चुकाई ........ये सिर्फ और सिर्फ माता - पिता ,भाई - बहन और परिवार का दर्द जानता है ............
....................निर्भया तुम्हे समाज की श्रधान्जली.......तुम चली गयी लेकिन परिवर्तन की क्षीण लौ जला गयी हो .................शायद प्रकाश हो .......????

3 comments:

  1. nirbhya ki sradhanjali me har nari aapke saath hai ...........kyoki dard sabne samjha hai nirbhya ka ..........

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  2. नमन है निर्भय को ... जो जाते जाते समाज को जागृत कर गई ...

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