विश्व प्राकृतिक #आपदा से समय-समय पर दो-चार होता रहा है। मनुष्य का हस्तक्षेप जब भी उसके लिए असहनीय होता है वह रौद्र रूप दिखाती है और फिर किसी भी रूप में उसके कोप का भाजन बनना ही पड़ता है 😥
लेकिन हर बार जीत कर बाहर निकला ही मानव स्वभाव है 🤗
कई बार पिताजी अकालों और महामारियों के बारे में बताया करते थे
विशेष जो उन्हें याद था 'बावनिया अकाल'☹️
जो 1952 में आया था, लोगों के चूल्हे ठप्प हो गए थे
उसी अकाल पर #बाबा_नागार्जुन की दो पंक्तियां
'घर के अंदर दाने आये कई दिनों के बाद
धुंआ उठा आंगन से ऊपर कई दिनों के बाद'
सबने डट कर सामना किया , लड़े और विजयी रहे
पिताजी बताया करते थे कि जब 'बावनिया अकाल' की लड़ाई जीत रहे थे तब गांव की औरतें गीत गाया करती थीं
' बावनिया अकाल अब न अइयो मेरे बाखर में ...
इसी श्रंखला में प्रकृति का क्रोध आज #कोरोना के रूप में हैं
मालिनी अवस्थी जी ने सुरीली आवाज में कोरोना को हराने के लिए आवाहन किया है
ये लड़ाई पूरे विश्व की है सबको विजयी होना है लेकिन अलग-अलग लड़ कर
अलग-अलग रहने में ही एकता है
अलग रहिये और #कोरोना को हराने में योगदान दीजिए
समय पास है कोरोना को हराएंगे और
हम सब भी मिल कर जल्द ही गाएंगे
'कोरोनिया प्रहार , अब न आइयो मेरे बाखर पर....'
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
#कोरोना_को_हराना_है
#StayHome
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteघर मे ही रहिए, स्वस्थ रहें।
कोरोना से बचें।
भारतीय नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।