घर से कुछ साधन जुटा बढ़िया चटनी भी तैयार कर देतीं थीं
मीठा हो या नमकीन बनता घर पर ही था
एक तो उन्हें लगता ये संतुष्टि देता है
समय भी होता था
महत्वपूर्ण ये कि पहले घर पर किसी के आ जाने पर घर के बने व्यंजन ही परोसे जाते थे
समय के साथ साथ परिवर्तन आते चले गए
घर पर बनने वाले पदार्थ भी आधुनिक हो गए और
व्यस्तता के चलते बाहर की वस्तुओं पर निर्भरता बढ़ती चली गयी
आज इस वैश्विक संकट कोरोना ने जीवन बदल कर रख दिया है
खाने के अलावा 'वाने' ने तो वातावरण सुगन्धित कर दिया है😊
सभी सपरिवार उन्ही खाद्य पदार्थों का आनंद उठा रहे है जिनके चटकारे शाम को ठेले पर कोई मित्र मंडली के साथ ,तो कोई परिवार के साथ लेता था
लोग पाक कला को निखार रहे हैं
कोरोना को तो जाना है और चला ही जायेगा
परन्तु एक सकारात्मक परिवर्तन लोगो के जीवन में, उनकी सोच में अवश्य आ जायेगा
जो समय की मांग भी है
ईश्वर इस संकट को शीघ्र टालो 🙏🙏
कुछ सुगन्धित स्वादिष्ट चित्र 🙏
वाह... व्यंजनों की...बहुत उपयोगी जानकारी।
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